دادو ضلعي جا ڪليڪٽر، ڊي سي، ڊي سي اوز
دادو ضلعي 1931ع تي وجود ۾ آيو. هن ضلعي جو پهريون
ڪليڪٽر آر. بي جڳت سنگهه هو، اڄ تائين جيڪي
ڪليڪٽر، ڊپٽي ڪمشنر ۽ ڊسٽرڪٽ ڪوآرڊينيشن آفيسر آيا
آهن، انهن جو تفصيل هيٺ ڏجي ٿو.
1.
آر بي جڳت سنگهه |
01،10،1931 |
2.
سردار محمد خان |
02،08،1933 |
3.
ڪي بي. نور نبي |
23،02،1934 |
4.
ڪي. بي. پٽيل |
27،08،1935 |
5.
چين راءِ پامناڻي |
04،10،1936 |
6.
ڪي. بي نور نبي |
30،10،1936 |
7.
ڪي. بي. محمد بخش |
01،10،1938 |
8.
ڪي. بي عبدالقادر |
30،05،1939 |
9.
اي. ايڇ. هولٽ |
31،10،1939 |
10.
ڪي. بي محمد بخش |
10،04،1941 |
11.
سي، بارني |
13،07،1941 |
12.
اي. ايڇ هولٽ |
17،09،1941 |
13.
بي. آر. پٽيل |
10،03،1942 |
14.
ڊبليو، اين گئلانگهر |
22،07،1942 |
15.
جي، ايڇ، ڪي آغا |
27،09،1942 |
16.
ايم. آر. يارڊي |
11،04،1945 |
17.
وي، آر، پارپيا |
09،06،1946 |
18.
اي، اي، انصاري |
20،02،1947 |
19.
ڪي. ايس. اي جي آغا |
17،10،1947 |
20.
نور محمد شيخ |
08،01،1948 |
21.
آغا محمد يعقوب |
29،01،1948 |
22.
محمد هاشم عباسي |
08،02،1949 |
23.
سيد مدد علي شاهه |
06،05،1950 |
24.
ايم. اي يوسفاڻي |
25،05،1951 |
25.هاشم
عباسي |
01،10،1953 |
26.
سيد مدد علي شاهه |
09،02،1953 |
27.
ايس، اعظم علي |
17،03،1953 |
28.
محمد هاشم عباسي |
01،10،1953 |
29.
اي، ايم موسيٰ |
02،04،1954 |
30.
عبدالمجيد خان |
07،06،1954 |
31.
مسيح الزمان |
23،11،1954 |
32.
عبدالمجيد خان |
24،03،1955 |
33.
نور محمد ڀٽي |
08،08،1955 |
34.
مسح الزمان |
25،09،1956 |
35.محمد
الياس يوسفاڻي |
11،12،1956 |
36.
عبدالمجيد (اي) خان |
14،02،1957 |
37.
محمد سومار ميمڻ |
05،04،1959 |
38.
مظهر علي شيخ |
29،04،1960 |
39.
محمد اسماعيل ميمڻ |
15،06،1961 |
40.
ايس، اي ڊبليو معيني |
11،03،1963 |
41.
احمد صادق |
16،01،1964 |
42.
آغا رفيق احمد |
29،09،1963 |
43.
آصف فصيح الدين وردگ |
29،09،1963 |
44.
مظهر رفبع |
21،12،1965 |
45.سيد
سردار احمد |
18،06،1966 |
46.
فضل الاهي احمد |
21،03،1969 |
47.
الهه بخش سومرو |
25،10،1969 |
48.
طارق محمد امين |
18،01،1971 |
49.
علي ڏنو پنهور |
19،02،1972 |
50.محمد
هاشم ميمڻ |
26،03،1974 |
51.
تاج محمد قريشي |
10،06،1976 |
52.الطاف
حسين قادري |
01،09،1977 |
53.فقير
محمد ڏهر |
15،05،1980 |
54.محمد
شريف |
10،05،1983 |
55.
حاجي محمد هارون ميمڻ |
18،07،1984 |
56.نظر
حسين مهر |
07،11،1985 |
57.عاشق
حسين ميمڻ |
26،05،1986 |
58.آفتاب
احمد قريشي |
28،01،1987 |
59.اشفاق
احمد ميمڻ |
12،90،1987 |
60.
مير محمد پرهياڙ |
28،05،1988 |
61.
سبحان ميمڻ |
02،06،1989 |
62.
خورشيد نعيم ملڪ |
24،02،1990 |
63.
نظر محمد پٺاڻ |
06،08،1990 |
64.
آفتاب احمد سومرو |
08،01،1991 |
65.گل
محمد عمراڻي |
19،04،1992 |
66.
مير محمد پرهياڙ |
04،08،1993 |
67.
محمد يونس ڊاگا |
11،07،1996 |
68.
آغا جان اختر |
09،09،1996 |
69.
محمد صديق ميمڻ |
16،11،1996 |
70.
عبدالرزاق عباسي |
05،03،1997 |
71.
علم الدين بلو |
28،11،1997 |
72.
ڊاڪٽر لائق احمد ميمڻ |
02،01،2000 |
73.
ڊاڪٽر رياض احمد ميمڻ |
22،08،2000 |
ڊسٽرڪٽ ڪوآرڊينيشن آفيسر دادو:
1.
محمد قاسم لاشاري 14،08،2001
2.
عبدالرزاق عباسي 13،07،2002
3.
الڏتو شر 10،12،2002
4.
اعجاز احمد منگي 31،01،2003
5.
علم الدين بلو 08،04،2004
6.
اعجاز احمد منگي 08،06،2005
دادو جا ايس. ايس. پي ۽ ڊي. پي او:
قيام پاڪستان بعد جيڪي پوليس جا ضلعي سربراه مقرر
ٿيا آهن. انهن جي فهرست هيٺ ڏجي ٿي.
1.
سردار عبدالرحمان |
15،05،1947 |
06،01،1950 |
2.
ايف. جي ليوس |
07،01،1950 |
14،05،1951 |
3.
الله بخش شيخ |
15،05،1951 |
25،10،1951 |
4.
ايس. اين غني |
26،10،1951 |
21،04،1952 |
5.
محمد رحيم قريشي |
22،04،1952 |
28،08،1952 |
6.
محمود علي خان |
29،08،1952 |
17،04،1952 |
7.
چوڌري نظير احمد |
18،04،1954 |
20،08،1954 |
8.
عبدالرؤف ايم. اي |
21،07،1954 |
17،04،1954 |
9.
محمود خان |
15،11،1954 |
10،03،1955 |
10.
بهادر علي خان |
11،03،1955 |
10،05،1955 |
11.
ظفر الحق |
11،05،1955 |
10،06،1955 |
12.
مسيح الله خان |
11،06،1955 |
20،07،1955 |
13.
عبدالڪريم ايف |
21،07،1955 |
08،03،1956 |
14.
حسن مصطفيٰ |
09،03،1956 |
11،12،1956 |
15.
خان غلام مصطفيٰ |
12،12،1956 |
18،09،1957 |
16.
شيخ صغير حسين |
19،09،1957 |
27،11،1958 |
17.
محمد رحيم قريشي |
28،11،1958 |
25،06،1959 |
18.
صديق احمد ناگرا |
26،06،1959 |
24،01،1960 |
19.
راجا محمود يار |
25،01،1960 |
25،02،1960 |
20.
ملڪ غلام فريد |
26،02،1960 |
13،08،1960 |
21.
مير بهادر علي خان |
14،08،1960 |
01،11،1961 |
22.
آغا مظهر علي خان |
02،11،1961 |
25،08،1963 |
23.
فضل ڪريم ميان |
26،08،1963 |
24،12،1964 |
24.
عبدالرب ايم. اي |
25،12،1964 |
05،07،1965 |
25.عمر
خان يوسف زئي |
06،07،1965 |
07،08،1965 |
26.
نواب زاده ايڇ اي. خان |
08،08،1965 |
20،06،1966 |
27.
اي. ايم. باجوا |
21،06،1966 |
31،10،1966 |
28.
قاضي محمد شريف |
01،11،1966 |
08،06،1969 |
29.
سردار غلام قادر ڏهر |
09،06،1969 |
06،12،1969 |
30.
اي. ايم بروهي |
20،12،1969 |
28،02،1970 |
31.
سردار اي. آر. رئيساڻي |
09،03،1970 |
23،11،1971 |
32.
واحد امتياز |
10،11،1971 |
24،04،1972 |
33.
سردار اي. آر. رئيساڻي |
25،04،1972 |
04،10،1972 |
34.
پير بخش بلوچ |
05،10،1972 |
28،04،1973 |
35.عطا
محمد خان |
04،06،1973 |
11،11،1973 |
36.
سروش رؤف علوي |
12،11،1973 |
06،03،1974 |
37.
محمد ادريس خان |
07،03،1974 |
03،08،1974 |
38.
پير بخش پٺاڻ |
09،08،1974 |
25،03،1974 |
39.
عبدالله خان چاچڙ |
09،05،1977 |
01،09،1977 |
40.
غوث بخش ميمڻ |
01،09،1977 |
11،02،1978 |
41.
آفتاب نبي |
15،02،1978 |
19،05،1979 |
42.
حبيب الله خان نيازي |
19،05،1979 |
07،09،1980 |
43.
راجا احمد علي |
16،09،1980 |
08،10،1981 |
44.
محمد يوسف بلوچ |
09،10،1981 |
30،04،1982 |
45.خادم
حسين |
01،05،1982 |
06،07،1983 |
46.
نظرالدين |
07،07،1983 |
17،08،1983 |
47.
خادم حسين |
18،08،1983 |
15،09،1983 |
48.
غلام قادر ميهر |
16،09،1983 |
10،03،1984 |
49.
ميان باز خان آفريدي |
10،03،1984 |
05،09،1984 |
50.ولجد
علي خان |
06،09،1984 |
13،05،1986 |
51.
بابر خٽڪ |
18،05،1986 |
02،06،1986 |
52.دين
محمد بلوچ |
02،06،1986 |
26،11،1986 |
53.سرمد
سعيد خان |
27،11،1986 |
11،09،1987 |
54.دائود
احمد |
29،01،1987 |
11،09،1987 |
55.
سرمد سعيد خان |
11،09،1987 |
05،06،1988 |
56.علي
اڪبر ڀنگوار |
05،06،1988 |
03،01،1988 |
57.نادر
حسين کوسو |
04،01،1989 |
02،02،1989 |
58.محمد
اڪبر خان |
14،02،1989 |
15،09،1989 |
59.سليم
اختر صديقي |
02،10،1989 |
15،09،1989 |
60.
دين محمد بلوچ |
22،02،1990 |
20،06،1990 |
61.
سيد ذوالفقار علي شاهه |
21،06،1990 |
02،07،1990 |
62.
سي. ڪي چاچڙ |
02،07،1990 |
28،08،1990 |
63.
نادر حسين کوسو |
28،08،1991 |
19،02،1991 |
64.
اختر علي جانوري |
19،02،1991 |
18،10،1991 |
65.غلام
حيدر جمالي |
18،10،1991 |
13،04،1992 |
66.
علي اڪبر ڀنگوار |
22،04،1992 |
03،08،1993 |
67.
مشتاق شاهه |
03،08،1993 |
16،12،1993 |
68.
محمد اڪبر |
18،12،1993 |
15،01،1994 |
69.
عبدالعزيز بلو |
22،01،1994 |
17،11،1994 |
70.
غلام شبير شيخ |
17،11،1994 |
11،07،1996 |
71.
اي. ڊي. خواجا |
11،07،1996 |
29،09،1996 |
72.
غلام قادر ٿيٻو |
26،11،1996 |
06،03،1997 |
73.
ڪيپٽن ظفر اقبال اعواڻ |
09،03،1997 |
18،06،1998 |
74.
غلام حيدر جمالي |
18،06،1998 |
25،03،1999 |
75.سردار
عبدالمجيد |
26،03،1999 |
31،12،1999 |
76.
مشتاق احمد مهر |
01،01،2000 |
11،04،2002 |
77.
طاهر نويد |
11،04،2002 |
24،07،2002 |
78.
علي اڪبر ڀنگوار |
24،07،2002 |
10،04،2004 |
79.
جاويد عالم اوڊو |
10،04،2004 |
10،02،2005 |
80.
رخسار احمد کهاوڙ |
10،02،2005 |
29،01،2006 |
81.
نادر حسين کوسو |
31،01،2006 |
اڄ تائين |
ڊسٽرڪٽ سيشن جج:
دادو ضلعي 1931ع تي وجود ۾ آيو. قيام پاڪستان بعد
جيڪي ڊسٽرڪٽ سيشن جج صاحبان مقرر ٿيا. انهن جي
فهرست ملي آهي. اها فهرست تفصيل سان هيٺ بيان ڪجي
ٿي.
1.
رحيم بخش منشي |
18،10،1948 |
04،01،1949 |
2.
غلام رسول سومرو |
05،01،1949 |
15،06،1949 |
3.
غلام حيدر مغل |
05،01،1949 |
30،04،1950 |
4.
غلام رسول شيخ |
01،01،1950 |
24،04،1953 |
5.
سيد احمد محمود غزنوي |
25،04،1953 |
02،09،1953 |
6.
قمبر علي بيگ مرزا |
03،09،1953 |
09،01،1954 |
7.
غلام حيدر مغل |
10،01،1954 |
22،03،1954 |
8.
مولا بخش لغاري |
23،03،1954 |
13،06،1954 |
9.
ماما عزيزالله ميمڻ |
14،06،1954 |
15،10،1954 |
10.
غلام حسين شيخ |
16،10،1954 |
03،10،1956 |
11.
قمبر علي بيگ مرزا |
04،10،1956 |
07،03،1957 |
12.
حامد علي ميمڻ |
08،03،1957 |
08،04،1957 |
13.
قمبر علي مرزا |
09،04،1957 |
28،02،1958 |
14.
عزيزالله ميمڻ |
01،03،1958 |
06،10،1960 |
15.
اي. ڊي. علي حيدر |
07،10،1960 |
12،01،1963 |
16.
اي. جي محمد علي |
13،01،1963 |
23،02،1964 |
17.
مولا بخش لغاري |
24،02،1964 |
31،07،1965 |
18.
سيد ضيا حسين |
01،08،1965 |
03،10،1965 |
19.
غلام حسين شيخ |
04،10،1965 |
03،11،1965 |
20.
حامد علي ميمڻ |
21،11،1965 |
29،12،1966 |
21.
جي. اين قادري |
10،03،1967 |
31،11،1969 |
22.
سيد ضيا حسين |
01،12،1969 |
22،04،1969 |
23.
محمد اشتياق حسين |
23،04،1969 |
23،04،1971 |
24.
احمد خان بارڪزئي |
26،04،1971 |
13،04،1974 |
25.مولا
بخش سانگي |
04،04،1974 |
15،04،1974 |
26.
ڌڻي بخش |
16،12،1974 |
09،05،1976 |
27.
علي نواز ٻڍاڻي |
10،05،1976 |
06،11،1976 |
28.
محمد اويس |
17،11،1976 |
07،12،1977 |
29.
خدا بخش قاضي |
08،12،1977 |
01،09،1979 |
30.
سيد اقبال حسين |
19،10،1979 |
21،09،1980 |
31.
ناصر حسين جعفري |
22،09،1980 |
30،01،1981 |
32.
عبدالعزيز ميمڻ |
05،03،1981 |
15،08،1981 |
33.
الله بخش ميمڻ |
16،08،1981 |
10،08،1982 |
34.
امان الله عباسي |
27،02،1982 |
03،06،1982 |
35.ناظم
حسين صديقي |
23،06،1982 |
05،09،1984 |
36.
غلام محمد راجپوت |
13،09،1984 |
03،07،1985 |
37.
شبير احمد |
07،07،1985 |
26،02،1986 |
38.
سليم الدين ميمڻ |
12،03،1986 |
02،06،1986 |
39.
قيصر احمد حامدي |
07،06،1986 |
31،10،1986 |
40.
سليم الدين ميمڻ |
01،11،1986 |
01،12،1986 |
41.
قادر بخش عمراڻي |
01،12،1986 |
09،04،1987 |
42.
قاضي محمد حسين |
14،04،1987 |
26،06،1988 |
43.
عبدالغني گذدر |
04،12،1988 |
12،04،1989 |
44.
اي. جي بچاڻي |
12،04،1989 |
01،06،1989 |
45.لعل
چند پيسواڻي |
22،06،1989 |
21،08،1990 |
46.
عبدالحميد ابڙو |
01،09،1990 |
29،09،1992 |
47.
خادم حسين جوڻيجو |
06،10،1992 |
13،01،1995 |
48.
غلام نعمان شيخ |
17،01،1995 |
18،08،1996 |
49.
سيد ارشاد علي شاهه |
21،08،1996 |
23،11،1996 |
50.محمد
شفيق آرائين |
23،11،1996 |
22،10،1997 |
51.
اڪبر ايم. ميمڻ |
22،10،1997 |
22،12،1998 |
52.رحمت
حسين جعفري |
07،01،1999 |
06،05،1999 |
53.پرويز
خان چانگ |
29،05،1999 |
20،10،1999 |
54.حسين
بخش کوسو |
20،10،1999 |
08،07،2000 |
55.
سيد حسن فيروز |
04،09،2000 |
31،10،2003 |
56.اعظم
انور بلوچ |
06،12،2003 |
13،12،2004 |
57.بشير
احمد کوسو |
13،12،2004 |
09،07،2005 |
58.امير
علي ٿري |
14،04،2005 |
اڄ تائين |
سول اسپتال جا سول سرجن ۽ ميڊيڪل سپرينٽينڊنٽ:
دادو سول اسپتال جي پراڻي ۽ قديم حيثيت آهي. هن
اسپتال جو سنگ بنياد ليڊي گراهام 16 مارچ 1940ع تي
رکيو، سنگ بنياد تي جيڪا عبارت لکيل آهي. ان جي
عبارت انگريزي ۾ آهي، لکيل عبارت جو نمونو هيٺ ڏجي
ٿو.
Lady Graham Hospital Dadu
The foundation stone was Laid by:
Lady Graham on 16th March 1940
پهريائين هيءَ اسپتال، چند وارڊن تي مشتمل هئي،
جنهن ۾ سرجيڪل وارڊ، ميديڪل وارڊ، شعبئه حادثات ۽
زنانو وارڊ شامل هئا. هي اسپتال آهستي آهستي وڌندي
رهي، شهري آبادي وڌڻ سبب هيءَ اسپتال وچ شهر ۾ اچي
وئي آهي. هن وقت وڏي اسپتال جو ڏيک ڏئي رهي آهي.
هن اسپتال ۾ ڪيترن ئي علائقن مان مريض علاج ڪرائڻ
اچن ٿا. دادو سول اسپتال ۾ ڪيترائي شعبه قائم ڪيا
ويا آهن. جن ۾ اکين جو شعبو، ٻارڙن جو شعبو، دل جو
شعبو، گردن جو وارڊ، شعبه حادثات شامل آهن. هن
اسپتال ۾ جيڪو عملو آهي، ان ۾ سول سرجن سيد غوث
علي شاهه، ايڊيسنل سول سرجن ڊاڪٽر غلام رسول
لاشاري، ايڊيشنل ميڊيڪل سپرنٽينڊنٽ ڊاڪٽر شهناز
قريشي، آر. ايم. او ڊاڪٽر عبدالرزاق ابڙو،
پيٿالاجسٽ ڊاڪٽر علي احمد سومرو، ريڊيالاجسٽ ڊاڪٽر
محمد حسن منگي، اکين جو ماهر ڊاڪٽر گلزار احمد
شيخ، سرجن ڊاڪٽر غلام قاسم چانڊيو، فزيشن ڊاڪٽر
علي حسين بالادي، يورالاجسٽ ڊاڪٽر نثار احمد شيخ،
چيسٽ اسپيشلسٽ ڊاڪٽر محمد رفيع صديقي، دل جو ماهر
ڊاڪٽر منظور احمد شيخ، ايس، ايم او ڊاڪٽر سيف الله
سومرو، ڊاڪٽر غلام علي سيال، ڊاڪٽر صلاح الدين
لاکير، ڊاڪٽر نصير احمد سميجو، ڊاڪٽر صغر پنهور،
ڊاڪٽر توفيق احمد ميمڻ، ڊاڪٽر غلام حسين پنهور،
ٻارڙن جا ماهر ڊاڪٽر عبدلرزاق جوڻيجو، ڊاڪٽر محمد
نواز کوکر، ايس، ايم او، محمد اصغر ملڪ، ڊاڪٽر
روشن علي چنا، ڊاڪٽر مختيار پنهور، ڊاڪٽر طالب
حسين عباسي، ڊاڪٽر ستيش ڪمار، ڊاڪٽر وجئه ڪمار،
ڊاڪٽر ياسين ڏاوڇ، ڊاڪٽر نياز احمد ڪلهوڙو ڊاڪٽر
نورالدين سولنگي، ڊاڪٽر حفيظ شيخ، ڊاڪٽر محمد ضمير
لنڊ ۽ ڊاڪٽر منظور احمد هنڱورو جيڪي سول اسپتال جو
سنگ بنياد تاريخ 16 مارچ 1940ع ۽ افتتاح تاريخ 5
مارچ 1941ع تي ليڊي گراهام ڪيو. اڄ تائين سول
اسپتال ۾ جيڪي سول سرجن ۽ ميڊيڪل سپرنٽينڊنٽ آيا
انهن جي فهرست هيٺ ڏجي ٿي:
1.
خان بهادر ڊاڪٽر عبدالعزيز عباسي |
15،03،41 |
05،09،47 |
2.
ڊاڪٽر اي. ايڇ چوڌري |
06،09،47 |
31،06،47 |
3.
ڊاڪٽر ٽي. ايم. اسراڻي |
03،06،47 |
02،04،48 |
4.
ڊاڪٽر عبدالرسول |
05،04،48 |
20،09،48 |
5.
ڊاڪٽر اين. ايم سومرو |
21،09،48 |
30،11،48 |
6.
جي. ايم. بارڪزئي |
01،12،48 |
25،06،49 |
7.
ڊاڪٽر عبدالرسول |
26،06،49 |
21،06،52 |
8.
ڊاڪٽر امين اي. شيخ |
01،07،52 |
26،06،93 |
9.
ڊاڪٽر ايس. ايم. اظهر جعفري |
27،06،53 |
25،01،55 |
10.
ڊاڪٽر مير ممتاز علي تاج |
26،01،55 |
07،01،55 |
11.
ڊاڪٽر سيد غلام مجتبيٰ |
08،10،55 |
05،05،56 |
12.
ڊاڪٽر ايم. اي. سولنگي |
06،05،56 |
03،06،56 |
13.
ڊاڪٽر نور احمد ميمڻ |
04،06،56 |
14،03،57 |
14.
ڊاڪٽر محمد رفيق چوڌري |
15،03،57 |
28،09،58 |
15.
ڊاڪٽر عبدالصدر عالم |
29،09،58 |
08،01،59 |
16.
ڊاڪٽر محمد رفيق چوڌري |
09،01،59 |
17،09،60 |
17.
ڊاڪٽر ڪي. ڪي ڀٽو |
18،09،60 |
19،12،60 |
18.
ڊاڪٽر ايم. ايس. سولنگي |
20،12،60 |
31،05،61 |
19.
ڊاڪٽر نور احمد ميمڻ |
01،06،61 |
18،11،63 |
20.
ڊاڪٽر غلام سرور مستوئي |
06،11،72 |
31،05،31 |
21.
ڊاڪٽر احمد علي ڊومڪي |
01،07،72 |
04،04،82 |
22.
ڊاڪٽر غلام سرور مستوئي |
05،04،82 |
16،04،88 |
23.
ڊاڪٽر عبدالقيوم شيخ |
16،04،88 |
18،08،89 |
24.
ڊاڪٽر غلام سرور مستوئي |
19،08،89 |
05،05،90 |
25.ڊاڪٽر
شرف الدين بلوچ |
06،09،90 |
11،09،90 |
26.
ڊاڪٽر غلام قادر قريشي |
12،09،90 |
15،12،90 |
27.
ڊاڪٽر غلام مصطفيٰ کهاور |
16،12،90 |
28،02،93 |
28.
ڊاڪٽر شرف الدين بلوچ |
28،02،93 |
29،06،95 |
29.
ايم. اي. نوراني |
29،06،95 |
23،09،95 |
30.
ڊاڪٽر غلام رسول لاشاري |
23،09،95 |
28،08،97 |
31.
ڊاڪٽر عبدالستار ميمڻ |
28،08،97 |
10،05،99 |
32.
ڊاڪٽر شرف الدين بلوچ |
17،08،99 |
26،12،2000 |
33.
ڊاٽر غلام رسول لاشاري |
31،08،2000 |
28،01،2002 |
34.
ڊاڪٽر جاويد ڏاوڇ |
28،01،2002 |
04،05،2005 |
35.ڊاڪٽر
سيد غوث علي شاهه |
04،05،2002 |
اڄ تائين |
ميڊيڪل سپرنٽينڊنٽ:
1.
ڊاڪٽر محمد رفيق چوڌري |
19،11،63 |
15،03،66 |
2.
ايس. اي شيخ |
16،03،66 |
04،08،66 |
3.
ڊاڪٽر محمد سڄڻ ميمڻ |
27،01،67 |
24،11،67 |
4.
ڊاڪٽر آفتاب احمد قريشي |
08،12،67 |
31،01،71 |
5.
ڊاڪٽر خالد رشيد |
20،02،71 |
07،06،71 |
6.
ڊاڪٽر گل محمد ڏاوڇ |
08،06،71 |
12،03،72 |
7.
ڊاڪٽر غلام سرور مستوئي |
28،03،72 |
08،10،72 |
8.
ڊاڪٽر عبدالصمد ميمڻ |
09،10،72 |
05،11،72 |
9.
ڊاڪٽر غلام سرور مستوئي |
06،11،72 |
31،05،73 |
ڊسٽرڪٽ هيلٿ آفيسر، اي. ڊي. او هيلٿ:
1.
ڊاڪٽر ميان فضل رحمان |
23،08،1966 |
29،08،1967 |
2.
ڊاڪٽر گل محمد ڏاوڇ |
30،08،1967 |
07،06،1971 |
3.
ڊاڪٽر خالد رشيد |
08،06،1971 |
26،07،1972 |
4.
ڊاڪٽر منصور علي شاهه |
02،08،1972 |
31،10،1972 |
5.
ڊاڪٽر عبدالرؤف سومرو |
02،11،1972 |
25،08،1975 |
6.
ڊاڪٽر غلام سرور مستوئي |
26،08،1975 |
24،10،1975 |
7.
ڊاڪٽر گل محمد شيخ |
25،10،1975 |
24،11،1975 |
8.
ڊاڪٽر احمد علي ڊومڪي |
26،11،1975 |
25،07،1975 |
9.
ڊاڪٽر قاضي نبي بخش |
26،07،1977 |
09،02،1978 |
10.
ڊاڪٽر احمد علي ڊومڪي |
10،02،1978 |
26،03،1978 |
11.
ڊاڪٽر خير محمد شيخ |
27،03،1978 |
30،07،1978 |
12.
ڊاڪٽر احمد علي ڊومڪي |
31،07،1978 |
15،08،1978 |
13.
ڊاڪٽر شمشاد احمد خان |
16،08،1978 |
16،12،1978 |
14.
ڊاڪٽر احمد علي ڊومڪي |
16،12،1978 |
07،02،1979 |
15.
ڊاڪٽر غلام مصطفيٰ کهاوڙ |
08،02،1979 |
13،12،1985 |
16.
ڊاڪٽر رفيق احمد ميمڻ |
14،12،1985 |
04،04،1987 |
17.
ڊاڪٽر مشتاق احمد ميمڻ |
07،04،1987 |
20،10،1987 |
18.
ڊاڪٽر غلام قادر قريشي |
20،10،1987 |
18،07،1989 |
19.
ڊاڪٽر عبدالڪريم نوراني |
18،07،1989 |
23،10،1993 |
20.
ڊاڪٽر غلام مصطفيٰ کهاوڙ |
23،10،1993 |
21،08،1996 |
21.
ڊاڪٽر عبدالخالق جوکيو |
21،08،1996 |
19،03،1997 |
22.
ڊاڪٽر خادم حسين لاکير |
19،03،1997 |
26،02،2000 |
23.
ڊاڪٽر شرف دين بلوچ |
26،02،2000 |
09،03،2001 |
24.
ڊاڪٽر قلندر بخش کهرو |
09،03،2001 |
13،08،2001 |
اي. ڊي. او هيلٿ:
1.
ڊاڪٽر شرف دين بلوچ |
13،08،2001 |
28،07،2002 |
2.
ڊاڪٽر خادم حسين لاکير |
22،07،2002 |
13،05،2003 |
3.
ڊاڪٽر مولا بخش جمالي |
03،05،2003 |
03،11،2004 |
4.
ڊاڪٽر ڌني بخش ٿيٻو |
03،11،2004 |
اڄ تائين |
محڪم آبپاشي جا انجنيئر:
دادو شهر ۾ اريگيشن، بلڊنگس، روڊس هاءِ ويز ۽
ايجوڪيشن ورڪس جي انجنيئرن جون آفيسون آهن، جن جي
ڪم جي نوعيت کاتن جي حوالن سان مختلف آهي. اريگيشن
انجنيئرن جو ڪم آهي واهن، چئنلن، شاخن، مائينرن ۽
ڊسٽريبوٽرن جي سار سنڀال، واهن جي کوٽائي، سلٽ
ڪليئرنس (لٽ ڪڍڻ) انهن جا ڪنارا مضبوط رکڻ، پاڻي
جي گهربل گيج ۽ والاشي برقرار ڪرڻ پاڻي جي صحيح
ورچ، هيڊ ورڪس، ريگيوليٽرن کي صحيح حالت ۾ رکڻ،
مورين ۽ ماڊيولن کي صحيح حالت ۾ رکڻ، انهن کي ڀڃ
ڊاهه يا ٻاهرين هٿ چراند کان محفوظ رکڻ، فصلن کي
مهلائتو پاڻي پهچائڻ، دريائي ٻوڏن کان شهري ابادين
کي بچائڻ، بندن جي حفاظت ڪرڻ ۽ انهن سڀني ڳالهين
جو رڪارڊ رکڻ، اريگيشن کاتو زراعت لاءِ ريڙهه جي
هڏي جو ڪم ڏئي ٿو. ڇو ته زمينون ڪيتريون ئي قيمتي
۽ زرخيز ڇو نه هجن پر جيڪڏهن پاڻي نه هجي ته اهي
ڪابه قيمت نه ٿيون رکن. ان ڪري هن کاتي جو زمينن
کي آباد ۽ زرخيز رکڻ لاءِ اهم ڪردار رهي ٿو.
رڪارڊ مان ظاهر آهي ته سدرن دادو ڊويزن جو بنياد
1933ع ۾ پيو ۽ هن ڊويزن ۾ هيٺيان انجنيئر رهيا. جن
جي نوڪري جو مدو پڻ اڳيان ڄاڻائجي ٿو.
1.
سٽر ايڇ پي مٿراڻي |
07،04،1929 |
04،06،1933 |
2.
اين بي شاهه |
04،06،1933 |
05،10،1933 |
3.
ايڇ. پي مٿراڻي |
05،10،1933 |
07،12،1933 |
4.
جي اين رگهواڻي |
07،12،1933 |
13،10،1935 |
5.
اين جي ڪي مرتي |
13،10،1935 |
30،091936 |
6.
ايڇ پي مٿراڻي |
01،10،1936 |
03،03،1938 |
7.
هرومل هوتچند |
03،03،1938 |
08،11،1940 |
8.
سيتلداس بي هيراڻي |
08،11،1940 |
14،12،1942 |
9.
ايم. ايڇ گدواڻي |
14،12،1942 |
09،06،1945 |
10.
سٽر پي آرگوراجاڻي |
09،06،1945 |
16،06،1946 |
11.
اي. آر قاضي |
17،06،1947 |
14،05،1947 |
12.
بولچند بي. ڀنڀرا |
14،05،1947 |
05،02،1948 |
13.
ايم. اي. لاڙڪ |
05،02،1948 |
21،02،1948 |
14.
اي جي شيخ |
22،02،1948 |
10،02،1949 |
15.
ايف ڊي نانگراڻي |
11،02،1949 |
03،07،1950 |
16.
ايس. ايم رفيع احمد |
03،07،1950 |
18،04،1951 |
17.
ڪي. ايس. ميمڻ |
18،04،1951 |
14،04،1952 |
18.
آر ٽي رامچنداڻي |
14،04،1952 |
27،09،1952 |
19.
حاجي محمد هاشم |
28،09،1952 |
10،10،1955 |
20.
آر ٽي رامچنداڻي |
11،01،1955 |
30،04،1957 |
21.
عبدالحڪيم ميمڻ |
30،04،1957 |
18،09،1957 |
22.
محمود علي ميمڻ |
18،19،1957 |
29،10،1957 |
23.
جي. واءِ شيخ |
29،10،1957 |
08،04،1958 |
24.
آر ٽي رامچنداڻي |
08،04،1958 |
19،05،1958 |
25.جي.
اي حافظ |
19،05،1958 |
24،11،1958 |
26.
آر ٽي رامچنداني |
25،11،1958 |
28،11،1958 |
27.
اي. ايم سومرو |
29،11،1958 |
06،01،1960 |
28.
محمد اسماعيل |
06،01،1960 |
09،05،1962 |
29.
قمرالدين سهتو |
09،05،1962 |
26،05،1962 |
30.
ستر محمودعلي ميمڻ |
26،05،1962 |
06،03،1964 |
31.
اي.ايم.هيسباڻي |
07،03،1964 |
28،02،1965 |
32.
اي.ايڇ عالماڻي |
01،03،1965 |
23،04،1965 |
33.
اي.ايم. هيسباڻي |
23،04،1965 |
22،10،1965 |
34.
عبدالحمد شيخ |
23،10،1965 |
25،02،1966 |
35.اي.اين
جي عباسي |
25،02،1966 |
25،08،1966 |
36.
عزيز احمد شيخ |
25،08،1966 |
05،10،1966 |
37.
عبدالمجيد شيخ |
05،10،1966 |
01،10،1968 |
38.
منير احمد شيخ |
02،10،1968 |
14،10،1968 |
39.
صادق علي مرزا |
14،10،1968 |
24،12،1969 |
40.
منير احمد شيخ |
24،12،1969 |
13،03،1972 |
41.
شمس الدين ميمڻ |
13،03،1972 |
23،04،1972 |
42.
شمس الدين ميمڻ |
24،04،1972 |
31،12،1972 |
43.
نورمحمد شيخ |
31،12،1972 |
28،02،1973 |
44.
شمس الدين ميمڻ |
28،02،1973 |
29،06،1974 |
45.رسول
بخش شيخ |
29،06،1974 |
09،07،1974 |
46.
جي جي ڇٽواڻي |
09،07،1974 |
26،06،1975 |
47.
ماڌيو آر والا يتراڻي |
26،06،1975 |
24،12،1978 |
48.
عبدالحميد شيخ |
24،12،1978 |
06،02،1982 |
49.
غلام مصطفيٰ بلوچ |
06،02،1982 |
16،03،1982 |
50.عزيز
جي اختر |
16،03،1982 |
02،03،1983 |
51.
مسعود علي ارباب |
02،03،1983 |
01،11،1984 |
52.غلام
مصطفيٰ بلوچ |
01،11،1984 |
04،02،1987 |
53.علي
انور سيال |
04،02،1987 |
21،11،1989 |
54.غلام
علي عمراڻي |
21،11،1987 |
04،04،1990 |
55.
آغا اعجاز احمد خان |
04،04،1990 |
17،09،1990 |
56.نظير
حسين مغل |
17،09،1990 |
13،05،1991 |
57.خالد
حيدر ميمڻ |
13،05،1991 |
19،06،1993 |
58.عبدالغني
ميمڻ |
19،06،1993 |
31،10،1993 |
59.علي
انور سيال |
31،10،1993 |
27،12،1993 |
60.
غلام عباس ابڙو |
27،12،1993 |
02،02،1994 |
61.
جاويد احمد طيباڻي |
02،02،1994 |
18،07،1994 |
62.
غلام حيدر اي قريشي |
18،07،1994 |
04،04،1995 |
63.
منظور احمد مگسي |
04،04،1995 |
07،12،1995 |
64.
ارشاد احمد خواجه |
07،12،1995 |
13،06،1997 |
65.علي
دوست رونگهو |
13،06،1997 |
02،09،1997 |
66.
عطا محمد سومرو |
02،09،1999 |
22،04،2000 |
67.
عباس علي اعواڻ |
22،04،2000 |
28،03،2001 |
68.
آفتاب احمد ابڙو |
28،03،2001 |
03،06،2002 |
69.
صلاح الدين عباسي |
03،06،2002 |
21،06،2002 |
70.
بشير احمد جتوئي |
21،06،2002 |
02،07،2002 |
71.
فيض احمد ميمڻ |
02،07،2002 |
26،07،2002 |
72.
حبيب الله ڪابورو |
26،07،2002 |
25،11،2004 |
73.
اشتياق احمد ميمڻ |
25،11،2004 |
06،06،2005 |
74.
محمد مٺل عباسي |
14،06،2005 |
18،02،2006 |
75.شفقت
حسين |
18،02،2006 |
اڄ تائين |
پراونشل هاءِ ويز ڊويزن جو قيام:
پراونيشنل هاءِ ويز ڊويزن جو قيام 1973ع ۾ عمل ۾
آيو. ڪم جو دائره ڪار پوري ضلعي اندر آهي. هن
ڊويزن کي ضلعي جي اندر مين روڊن، لنڪ روڊن ۽ شهر
کان ڳوٺن وستين ۽ واهڻن تائين رستن جي ڄار وڇائڻ
جو ڪم سونپيل آهي. ڪوبه خطو يا علائقو تيستائين
ترقي نه ٿو ڪري سگهي. جيستائين ان جو مواصلاتي
نظام صحيح نه آهي. ان حوالي سان هن ڊويزن جو ضلعي
۽ تعلقي جي حدن اندر نهايت رول رهيو آهي. هن ڊويزن
۾ پڻ جفاڪش ۽ محنتي انجنيئر رهيا آهن. جن جو تفصيل
هن ريت آهي:
پرونيشنل هاءِ وي.ڊويزن جا انجنيئر:
1.
ايس.غيور حسين |
25،07،1973 |
03،08،1974 |
2.
صاحبڏنو ميمڻ |
04،08،1974 |
01،02،1975 |
3.
محمد سليم ميمڻ |
02،02،1975 |
26،03،1975 |
4.
صاحبڏنو ميمڻ |
27،03،1975 |
21،05،1975 |
5.
ايم.اي.باري |
22،05،1975 |
06،11،1975 |
6.
غلام رسول بڙدي |
07،11،1975 |
07،08،1977 |
7.
عبدالرزاق ڊومڪي |
08،08،1977 |
13،08،1977 |
8.
عزيزالله شيخ |
08،08،1977 |
29،08،1979 |
9.
بشير احمد خان |
03،08،1979 |
12،09،1979 |
10.
عبدالقادر شيخ |
13،09،1979 |
07،10،1980 |
11.
نظر محمد سومرو |
08،10،1980 |
15،11،1980 |
12.
بشير احمد خان |
16،11،1980 |
29،11،1980 |
13.
عبدالقادر شيخ |
30،11،1980 |
15،01،1981 |
14.
بشير احمد خان |
16،11،1981 |
10،04،1981 |
15.
احمد حسين ٽالپور |
11،04،1981 |
27،08،1983 |
16.
بشير احمد خان |
27،08،1983 |
04،09،1983 |
17.
عبدالڪبير عقيلي |
04،09،1983 |
23،09،1984 |
18.
مير احمد حسين ٽالپور |
24،09،1984 |
08،11،1986 |
19.
خالقڏنو ميراڻي |
09،11،1986 |
22،11،1986 |
20.
مير احمد حسين ٽالپور |
23،11،1986 |
26،01،1987 |
21.
خالقڏنو ميراڻي |
26،11،1987 |
11،08،1988 |
22.
ممتاز علي قريشي |
11،08،1988 |
21،08،1988 |
23.
عبداللطيف ڪلوڙ |
21،08،1988 |
01،04،1990 |
24.
خالقڏنو ميراڻي |
01،04،1990 |
17،09،1992 |
25.مير
احمد حسين ٽالپور |
17،09،1992 |
17،05،1993 |
26.
بشير احمد ميمڻ |
22،05،1993 |
31،10،1993 |
27.
خالقڏنو ميراڻي |
01،11،1993 |
13،05،1995 |
28.
بشير احمد ميمڻ |
14،05،1995 |
30،06،1996 |
29.
غلام مصطفيٰ قاضي |
08،07،1996 |
16،06،1997 |
30.
لياقت علي بلوچ |
17،06،1997 |
30،06،1997 |
31.
غلام مصطفيٰ قاضي |
24،06،1997 |
27،06،1997 |
32.
منير احمد عباسي |
27،06،1997 |
26،09،1997 |
33.
غلام مصطفيٰ قاضي |
26،09،1997 |
26،09،1999 |
34.
بشير احمد جتوئي |
26،03،1999 |
04،05،1999 |
35.غلام
قادر لغاري |
14،05،1999 |
09،06،1999 |
36.
بشير احمد جتوئي |
23،06،1999 |
18،09،1999 |
37.
تاج محمد مهر |
18،09،1999 |
20،03،2003 |
38.
هدايت الله ميمڻ |
20،03،2003 |
|
39.
قطب الدين سومرو |
|
|
40.
زاهد حسين ميمڻ |
|
|
41.
عبدالله سانگرو |
|
|
بلڊنگس کاتي جا انجنيئر:
بلڊنگس کاتي جي انجنيئر جو ڪم آهي، ضلعي اندر جيڪي
به سرڪاري جايون، آفيسون، اسپتالون ۽ هيلٿ سينٽر
آهن. انهن جي مرمت ۽ نون آفيسن ۽ ٻين ترقياتي
رٿائن تخت ٺهندڙ عمارتن جي تعمير جو ڪم ساليانه
رٿائن ۽ حڪومت جي هٿ ۾ کنيل ٻين رٿائن تحت ضلعي ۾
جاين جي تعمير ڪرڻ، اهو سمورو ڪم بلڊنگس کاتي جي
حوالي آهي. هن کاتي جو پڻ اهم رول آهي، جنهن ملڪ
پبلڪ کي تمام گهڻو فائدو پوي ٿو. هن کاتي جو دفتر
رڪارڊ موجب 1954ع کان هن ضلعي ۾ عمل ۾ آيو ۽
هيٺيان انجنيئر ڄاڻايل مدي مطابق رهيا.
1.
عبدالڪريم شيخ |
09،05،1954 |
30،08،1955 |
2.
اي.ايف ڪيريو |
30،08،1955 |
26،06،1956 |
3.
عبدالڪريم ميمڻ |
26،06،1956 |
24،04،1959 |
4.
اي بدرالدين |
24،04،1959 |
16،09،1959 |
5.
حافظ عبدالغفار |
16،09،1959 |
05،04،1960 |
6.
عبدالڪريم شيخ |
24،04،1960 |
11،10،1962 |
7.
نظير احمد |
11،10،1962 |
08،12،1962 |
8.
حافظ حفظ الله |
08،12،1962 |
07،08،1963 |
9.
جي.ڪي افغان |
07،06،1963 |
14،09،1964 |
10.
اي.اي بيگ |
14،10،1964 |
11،08،1965 |
11.
سيف الله خان |
11،08،1965 |
18،11،1966 |
12.
غلام محمد جوڻيجو |
18،11،1966 |
09،12،1967 |
13.
مصيح الدين عباسي |
09،12،1967 |
23،08،1968 |
14.
اي.اي آرائين |
23،08،1968 |
24،04،1970 |
15.
ٽي.ايس شريف |
24،04،1970 |
13،07،1970 |
16.
ابوسعيد خان |
13،07،1970 |
07،03،1973 |
17.
سلطان احمد خان |
07،03،1973 |
24،01،1977 |
18.
سردار شفيع محمد ساند |
24،01،1977 |
16،12،1979 |
19.
سلطان احمد خان |
16،12،1979 |
09،05،1983 |
20.
ٽي.ايس شريف |
09،05،1983 |
21،08،1983 |
21.
عبدالجبار خان |
22،08،1983 |
23،02،1985 |
22.
محمد ابراهيم سومرو |
23،02،1985 |
04،12،1986 |
23.
حبيب الله ميمڻ |
04،12،1986 |
08،07،1990 |
24.
سردار شفيع محمد ساند |
18،07،1990 |
24،05،1993 |
25.غلام
اڪبر شيخ |
24،05،1993 |
12،07،1993 |
26.
علي محمد شيخ |
12،07،1993 |
24،11،1994 |
27.
عبدالرشيد جتوئي |
15،12،1994 |
24،11،1994 |
28.
قطب الدين سومرو |
24،11،1994 |
22،12،1994 |
29.
مدد علي آرائين |
22،12،1994 |
26،04،1995 |
30.
قطب الدين سومرو |
26،04،1995 |
23،07،1995 |
31.
محمد زمان لاشاري |
23،07،1995 |
31،05،1997 |
32.
روشن علي آگرو |
31،05،1997 |
06،06،1997 |
33.
تاج محمد آرائين |
06،06،1997 |
28،06،1997 |
34.
علي اڪبر ابڙو |
28،06،1997 |
12،12،1998 |
35.نظير
احمد يوسفاڻي |
12،12،1998 |
21،05،2001 |
36.
جاويد اقبال ميمڻ |
21،05،2001 |
17،08،2001 |
37.
عبدالغني ميمڻ |
17،08،2001 |
اڄ تائين |
ايجوڪيشن ورڪس جا انجنيئر:
ايجوڪيشن ورڪس کاتي جي آفيس دادو ضلعي ۾ 1987ع ۾
قائم ٿي. جيڪا پهرين لاڙڪاڻي جي ايجوڪيشن ورڪس
ڊويزن تحت سب ڊويزن طور ڪم ڪندي هئي. ان کي ڊويزن
جو درجو 1987ع ۾ ڏنو ويو. هي کاتو اصل ۾ تعليمي
ادارن جي تعمير لاءِ بلڊنگس کاتي کان الڳ ڪيو ويو.
هو ته جيئن تعليمي ادارن جي تعمير ۽ مرمت نهايت
تسلي بخش نموني ڪئي وڃي، هن کاتي به تمام سٺي
ڪارڪردگي ڏيکاري آهي. موجوده وقت ضلعي ۾ سڀني
تعليمي ادارن جهڙوڪ ڪاليج، هاءِ اسڪولن، مڊل
اسڪولن، پرائمري اسڪولن جي عمارتن جو چڱو خاصو
تعداد تعمير ڪيو آهي. اهڙي طرح تعمير ۽ ڪوالٽي جي
حساب سان هي کاتو پنهنجي دائره ڪار ۾ نمايان آهي.
هن دفتر ۾ هيٺيان انجنيئر رهيا آهن:
1.
معشوق علي بلوچ |
16،02،1987 |
10،08،1989 |
2.
عبدالحليم غوري |
11،08،1989 |
08،12،1989 |
3.
محمد علي ميمڻ |
09،12،1989 |
26،09،1998 |
4.
فيرومل پي.راهڙ |
26،09،1998 |
22،08،1998 |
5.
فيرومل پي.راهڙ |
22،08،2001 |
18،11،2004 |
6.
محمد يعقوب لُنڊ |
19،11،2004 |
اڄ تائين |
هاءِ.وي ڊويزن جا انجنيئر:
هاءِ وي ڊويزن ڪي.اين شاهه جنهن جي حصي ۾ روڊس جو
ڪم مليل آهي ته تعلقي ڪي.اين شاهه جي روڊن جي
تعمير ۽ مرمت ڪري اها آفيس پڻ 4،7،1996 تي کلي، ان
جو دفتر دادو ۾ رکيو ويو، ۽ دائره ڪار وڌايو ويو،
اها آفيس ضلعي حڪومتن جي قيام تحت ڊسٽرڪٽ آفيسر
روڊس دادو جي نئين مالي سال کان ڪم ڪرڻ لڳي آهي.
ان آفيس ۾ هيٺيان انجنيئر پنهنجي ڄاڻايل مدي مطابق
رهيا آهن.
1.
بشير احمد |
04،07،1996 |
15،12،1996 |
2.
عبدالستار سولنگي |
17،12،1996 |
06،03،1997 |
3.
بشير احمد جتوئي |
06،03،1997 |
30،08،1997 |
4.
عبدالله سانگهڙو |
09،09،1997 |
14،10،1997 |
5.
بشير احمد جتوئي |
15،10،1997 |
19،07،2000 |
6.
خالق ڏنو ميراڻي |
19،07،2000 |
29،05،2001 |
7.
غلام قادر لغاري |
01،09،2001 |
31،08،2001 |
8.
غلام قادر لغاري |
19،2001 |
03،10،2002 |
9.
عبدالغني ميمڻ |
3،10،2002 |
|
مختيارڪارن جي فهرست:
دادو تعلقه لاڙڪاڻه ضلع گزيٽيئر موجب 1843ع ۾ وجود
۾ آيو. مون کي صرف سال 1990ع کان مختيارڪارن جي
فهرست ملي آهي جيڪا قارئين لاءِ پيش ڪري رهيو
آهيان.
1.
پير بخش اُڄڻ |
12،09،1990 |
16،05،1991
تائين |
2.
غلام قادر ميمڻ |
16،05،1991 |
10،07،1992 |
3.
محمد سليمان اوٺو |
11،07،1992 |
02،08،1992 |
4.
محمد خان سومرو |
02،08،1992 |
10،08،1993 |
5.
محمد اسحاق ميمڻ |
21،08،1993 |
08،03،1994 |
6.
غلام رسول کهرو |
08،03،1994 |
24،04،1994 |
7.
گل محمد لغاري |
24،04،1994 |
10،07،1994 |
8.
قمرالدين ميمڻ |
10،07،1994 |
09،10،1994 |
9.
احسان علي قريشي |
12،10،1994 |
10،11،1994 |
10.
عبدالجبار ميمڻ |
10،11،1994 |
19،02،1995 |
11.
محمد علي شيخ |
19،02،1995 |
26،02،1995 |
12.
عبدالجبار ميمڻ |
26،02،1995 |
06،04،1995 |
13.
غلام رسول کهرو |
06،04،1995 |
11،04،1995 |
14.
حاجي محمد سليمان اوٺو |
11،04،1995 |
30،04،1995 |
15.
نظام الدين ٺٽيار |
30،04،1995 |
21،12،1996 |
16.
غلام محمد کوسو |
21،12،1996 |
27،03،1996 |
17.
نظام الدين ٺٽيار |
27،03،1996 |
04،10،1999 |
18.
امداد حسين ڪتريو |
04،10،1999 |
03،02،2000 |
19.
لال محمد ڪلهوڙو |
03،02،2000 |
11،04،2002 |
20.
محمد حنيف خاصخيلي |
11،04،2002 |
23،07،2002 |
21.
غازي خان ٽالپر |
23،07،2002 |
15،05،2004 |
22.
علي گل ڇڇر |
15،05،2004 |
01،11،2004 |
23.
عبدالغفار سومرو |
01،11،2004 |
16،02،2006 |
24.
محمد حسن لنڊ |
16،02،2006 |
کان اڄ تائين |
دادو ضلعي جا چيئرمين ۽ ايڊمنسٽريٽر:
دادو ضلعو 1931ع ۾ قائم ٿيو. اڄ تائين جيڪي
پريزيڊنٽ چيئرمين ۽ ايڊمنسٽريٽر مقرر ٿيا. ان جو
تفصيل هيٺ ڏجي ٿو.
1.
خانبهادر محمد پريل ڪلهوڙو |
18،04،1933 |
03،09،1935 |
2.
خانبهادر يارمحمد جوڻيجو |
04،09،1935 |
01،03،1936 |
3.
نجم الدين آخوند |
01،04،1936 |
30،06،1938 |
4.
خانبهادر محمد پريل ڪلهوڙو |
01،07،1938 |
20،04،1941 |
5.
سيد گل محمد شاهه |
21،04،1941 |
31،10،1946 |
6.
مٺارام |
01،11،1946 |
31،12،1946 |
7.
سيد گل محمد شاهه |
01،01،1947 |
30،09،1954 |
8.
الحاج عبدالمجيد جتوئي |
01،01،1954 |
22،11،1954 |
9.
شاهه محمد شيخ ايڊمنسٽريٽو |
23،11،1954 |
24،11،1954 |
10.
سيد قطب علي شاهه |
25،11،1954 |
26،01،1955 |
11.
شفيع محمد سهتو |
27،01،1955 |
31،03،1955 |
12.
غلام عمر صديقي |
01،04،1955 |
30،09،1955 |
13.
عبداللطيف پنهور |
01،10،1955 |
03،09،1956 |
14.
نورمحمد ڀٽي |
04،06،1956 |
26،09،1956 |
15.
مسيح الزمان |
25،09،1956 |
10،11،1956 |
16.
غلام اڪبر |
10،11،1956 |
11،12،1956 |
17.
محمد الياس يوسفاڻي |
11،12،1956 |
18،01،1957 |
18.
ڪشنچند جي گرماني |
14،02،1957 |
13،02،1957 |
19.
عبدالمجيد خان |
14،02،1957 |
13،04،1958 |
20.
الحاج عبدالمجيد جتوئي |
14،04،1958 |
03،05،1958 |
21.
عبدالمجيد اي خان |
04،05،1958 |
14،04،1959 |
22.
محمد سومار ميمڻ |
15،04،1959 |
28،04،1960 |
23.
مظهرعلي شيخ |
29،04،1960 |
30،06،1961 |
24.
محمد اسماعيل ميمڻ |
15،06،1961 |
10،05،1963 |
25.ايس.اي
ڊبليو معيني |
11،05،1963 |
15،01،1964 |
26.
ايم.اي صادق |
16،01،1964 |
29،09،1965 |
27.
آغا رفيق احمد |
30،09،1965 |
15،12،1965 |
28.
آصف فصيح الدين |
16،12،1965 |
18،06،1966 |
29.
مظهر رفيح |
19،06،1966 |
09،10،1967 |
30.
علي نواز شيخ |
11،10،1967 |
17،10،1967 |
31.
سيد سردار احمد |
18،10،1967 |
21،03،1969 |
32.
فضل الاهي ملڪ |
22،03،1969 |
25،10،1969 |
33.
الله بخش سومرو |
26،10،1969 |
17،01،1971 |
34.
طارق محمود امين |
18،01،1971 |
14،06،1971 |
35.طارق
محمود امين |
15،06،1971 |
18،02،1972 |
36.
علي ڏنو ايم.پنهور |
19،02،1972 |
26،03،1974 |
37.
محمد هاشم ميمڻ |
27،03،1974 |
10،06،1976 |
38.
تاج محمد قريشي |
10،06،1976 |
01،09،1977 |
39.
الطاف حسين قادري |
01،09،1977 |
16،11،1979 |
40.
پير بخش خاصخيلي |
17،11،1979 |
13،11،1983 |
41.
پير غلام شاهه |
14،11،1983 |
29،11،1987 |
42.
اشفاق احمد ميمڻ |
29،11،1987 |
31،12،1987 |
43.
حبيب رحمان شيخ |
01،01،1988 |
05،10،1992 |
44.
سيد نصيرمحمد شاهه |
06،10،1992 |
02،08،1993 |
45.گل
محمد عمراڻي |
02،08،1993 |
03،08،1993 |
46.
مير محمد پرهياڙ |
04،08،1993 |
05،03،1994 |
47.
سيد علي رضا شاهه |
06،03،1994 |
22،02،1995 |
48.
مشتاق احمد ميمڻ |
22،02،1995 |
17،17،1996 |
49.
سيد صالح شاهه |
07،07،1996 |
07،12،1996 |
50.محمد
صديق ميمڻ |
08،12،1996 |
05،03،1997 |
51.
عبدالرزاق عباسي |
06،03،1997 |
29،11،1997 |
52.علم
الدين بلو |
29،11،1997 |
|
ناظم:
53.ملڪ
اسد سڪندر آگسٽ 2001 کان 2005 تائين
54.ڪريم
علي جتوئي 2005 کان اڄ تائين
ميونسپل ڪاميٽي جا ائڊمنسٽريٽر:
1.
سيد جڙيل شاهه پريزيڊنٽ
2.
واحد بخش ايڊمنسٽريٽر
3.
شفيع محمد آخوند
4.
عبدالمجيد اي.خان
5.
علي بخش ڪاڪا
6.
محمد عرس شورو
7.
يعقوب عالماڻي
8.
محمد هاشم ايم.قاضي
9.
عبدالعليم عقيلي
10.
محمد اسماعيل قاضي
11.
عبدالعليم عقيلي
12.
محمد شفيع
13.
عبدالعليم عقيلي
14.
محمد هاشم ايم.قاضي
15.
سيد امداد علي شاهه بخاري
16.
محمد هاشم ايم.قاضي
17.
سيد عبدالرحمــٰن شاهه
18.
سيد امداد علي شاهه
19.
الاهي بخش ايم.لاشاري
20.
شيخ علي نواز
21.
آغا شهاب الدين
22.
الله ڏنو
23.
غلام سرور
24.
سيد الله ڏنو شاهه
25.
محمد انور شيخ
26.
ايوب يوسف رضوي
27.
بلديو مٿراڻي
28.
علي محمد شيخ
29.
عبدالحڪيم شيخ
30.
اختر احمد ڀُٽو
31.
علي نواز افغان
32.
محمد امين جي.ملڪ
33.
خدا بخش شيخ
34.
نورمحمد خان
35.
غلام حسين قريشي
36.
حاجي رسول بخش ميمڻ
37.
غلام حسين ميمڻ
38.
شبير احمد سومرو
39.
محمد ابراهيم ميمڻ
40.
الله ڏنو ايم.هيسباڻي
41.
عنايت الله ڀُٽو
42.
محمد ابراهيم ڀُٽو
43.
محمد حسين ڳاهو
44.
محمد حسن قريشي
45.
لياقت علي آرائين
46.
حاجي رسول بخش ميمڻ
47.
سيد ارباب علي شاهه معصومي
48.
مهتاب احمد شيخ
49.
عبدالسميع شڪيل احمد آخوند
50.
مهتاب احمد شيخ
51.
بشير احمد چنا
52.
گل محمد عمراڻي
53.
مير محمد پرهياڙ
54.
هادي بخش شيخ
55.
ضياءُالدين ناريجو
56.
هادي بخش شيخ
57.
خالي
58.
غلام اڪبر لغاري
59.
سهيل اديب بچاڻي ايڊمنسٽريٽر
60.
امداد حسين تُنيو
61.
محمد ابراهيم ميمڻ
62.
خان محمد چانڊيو
63.
محمد ابراهيم ميمڻ
تعلقي دادو جا ناظم:
1.
انجنيئر سيد ظفر علي شاهه
2.
رئيس نبي بخش خان لُنڊ
دادو تعلقي جو تاريخي ورثو
لوهم جو دڙو:
لوهم جو دڙو دادو تعلقي ۾ پيارو ڳوٺ اسٽيشن جي اتر
۾ ريلوي لائين کان اٽڪل هڪ فرلانگ اوڀر ۾ واقع
آهي. هي دڙو دادو شگرمل پيارو ڳوٺ جي وجود ۾ اچڻ
کان اڳ صحيح سلامت هو. مل جي وجود ۾ اچڻ کان پوءِ
آهستي آهستي ٿي شرف آباد ڳوٺ ۾ بدلجي ويو. دڙي جي
بربادي ۾ مل انتظاميه، ريلوي جي عملي ۽ تر جي جاهل
۽ نادان خوشامدي وڏيرن ۽ پنجابي آبادگارن ۽
پورهيتن جو هٿ ۽ دخل هو. بروقت انتظاميه قدم کڻي
ها ته هي دڙو ائين تباهه برباد نه هجي ها. ڪن سڄاڻ
وند شخصيتن آواز بلند ڪيو پر افسوس جو ان طرف ڪنهن
به توجه نه ڏنو. محترم تاج صحرائي آثار قديم جي
عملدارن، حيدرآباد جي ڪمنشنر ۽ ڊپٽي ڪمشنر دادو ۽
ان وقت جي ڊپٽي ڪليڪٽر لياقت آرائين کي خطن تارن
رستي آگاهه ڪيو. ڊپٽي ڪليڪٽر لياقت علي آرائين
تاريخ 6 جنوري 1979ع کان 18 آگسٽ 1980ع تائين
انڪوائري به ڪئي. پر ڪو به کڙ تيل نه نڪتو.
محترم تاج صحرائي پنهنجي هڪ مقالي ۾ جيڪو ماه
سيپٽمبر 1996ع ۾ ماهوار نئين زندگي ۾ شايع ٿيو.
لکي ٿو ته راقم اهي دڙا آمريڪي ماهر ڊاڪٽر لوئيس
فليم کي 22 ڊسمبر 1986ع ۾ گهمايا جرمن اسڪالر
ڊاڪٽر هنس نيسان مادام مارگريٽ نيسان ۽ مسٽر محمد
صديق سان گڏ 26 فيبروري 1983ع تي گهمايا ان وقت
دڙي تي اڏاوتون زور شور سان جاري هيون.
ميان محمد صديق قديم آثارن جي کاتي ۾ نوڪري ۾ هو ۽
سندس مقرري هڙاپه ۾ هئي. اسان دڙن کي عبرت سان ڏسي
رهيا هئاسين. ۽ جرمني ماهر اسان کي سوالي نظرن سان
ڏسي ۽ تڪي رهيو هو.
دڙي جي هڪ بيهڪ قديم آثارن جي ماهر اين جي مجمدر
تفصيلي رپورٽ پيش ڪئي آهي. هن اهي دڙا نومبر 1930ع
۾ گهميا هئا. ۽ تحقيق به ڪئي هئي. ۽ کوٽائي به ڪئي
هئي. هن صاحب جي لکڻ موجب دڙا اوڀر کان اولهه طرف
ست سؤ فوٽ ڊيگهه ۽ اتر کان ڏکڻ ڇهه سؤ فوٽ موڪر ۾
هئا. دڙا ان وقت آس پاس جي زمين کان 23 فوٽ مٿي
اوچا هئا. هن صاحب جي کوٽائي کان اڳ ڪنهن هن دڙي
سان هٿ چرانڊ ڪئي هئي. ان هٿ چرانڊ ڪرڻ وارن کي
قديم شين سان دلچسپي نه هئي. کوٽائي جي سائنسي ۽
فني ڄاڻ نه هجڻ سببفائدي جي مقابلي ۾ گهڻو نقصان
ڪيو ويو. تنهن کان سواءِ انهن کوٽائي مان کين ڇا
مليو؟ ان بابت ڪنهن کي ڪا خبر نه آهي. باقي مسٽر
ڊڪشٽ کي دڙن مٿان گهمندي ٽامي جون ٻه چار ننڍيون
تسرايون چقمق پٿر مان گهڙيل کرپيون سپين جا ذرڙا ۽
ٻيو ٺڪراٺو مليو. جنهن جو مهين تهذيب سان تعلق ۽
هڪجهڙائي هئي. ان ساڳئي قسم جون شيون مجمدر کي به
گهمندي ڦرندي حاصل ٿيون هيون.
مسٽر اين جي مجمدار هن دڙي کي موهن تهذيب وارن
ماڳن سان ڀيٽيو آهي. هو صاحب لکي ٿو ته لوهو جي
دڙن مان جيڪي باقيات حاصل ٿيون آهن. سي ساخت بيهڪ
۽ چٽسالي جي خيال کان مهين کان پوءِ جهڪر جي
باقيات سان مشابهت رکن ٿيون. مسٽر لئمبرڪ به
پنهنجي ڪتاب سنڌ جو جائزو ۾ به ساڳي ڳالهه لکي
آهي. ماهرن جي نظر موجب هي دڙو ٻن تهذيبن تي مشتمل
معلوم ٿئي ٿو. مجمدر کي کوٽائي دوران هيٺين تهه ۾
ٺڪراٽو به گهٽ ڏسڻ ۾ آيو هو. شايد ٿوري آبادي سبب
گهٽ استعمال ۾ هوندو. هن جي لکڻ موجب جيئن کوٽائي
هيٺ اونهائي ٿيندي ويئي. تيئن ٺڪراٺو گهٽ ٿيندو
ويو. پر ائين نه چئي سگهبو ته ٺڪرايو بلڪل نه هو.
مجمدر جي خيال موجب هيٺيان تهه اڃان وڌيڪ هيٺ هجن،
جتي پاڻي جي نڪري اچڻ سبب کوٽائي ممڪن نه ٿي سگهي.
جهڙي طرح مهين ۽ جهڪر جي دڙن ۾ ٿيو هو.
مجمدار لکي ٿو ته وڌيڪ پراڻن ۽ هيٺين تهه مان
وسندي جي پهرين دور ۾ ڀتين جي بنيادن مان جيڪو
ٺڪراتو مليو آهي. سو هوبهو سنڌو ٺڪراٺي جهڙو آهي.
ٿلهو جنهن مان ڪاري رنگ واري چٽسالي ٿيل آهي. جڏهن
ته ٿانون جو استر ڳوڙهي ڳاڙهي رنگ ۾ رڱيل آهي. اهو
ٺڪراٺو ڇهن فوٽن جي تهه ۾ مليو ٻه فوٽ زمين ۾ اند
ر۽ چار فوٽ زمين مٿان. انهن دڙن مان ٺڪراٺو تمام
سهڻي نموني جو پڪو هو. ان جي مٽي به چڱي طرح ڳوهيل
هئي. مٽي ۾ واري ۽ ابرق جا جزا چڱي انداز ۾ مليل
هئا. جنهن مان ثابت ٿي ٿيو ته سنڌو درياءُ جو
وهڪرو ان دور يعني ٽامي ۽ ڪنجهي جي دور ۾ لوهم شهر
جي ڀرسان وهندو هوندو. ان ڳالهه جي تصديق مسٽر
ليمبرڪ به چئي آهي.
ٻئي قسم وارو ٺڪراٺو يعني وسندي جي ۽ پوئين دور
وارو ٺڪرايو سٺو ۽ چڱي طرح پڪل به نه هو. ان جي
مٽي چڱي طرح ڳوهي لسي ۽ ملائم به گهٽ ڪيل هئي.
نتيجي ۾ ٿانون جي ساخت سٺي ۽ وٺندڙ نه رهي هئي.
تنهن کان سواءِ ٿانون مٿان استر ۽ چٽسالي جي رنگن
۾ به فرق ٿي نظر آيو. ان سبب آدم جي واڌ ۽ مال جي
تمام گهڻي ضرورت ۽ کپت ٺهرائي سگهجن ٿا، جنهن ڪري
پوين ڪنڀرن جي ڪاريگري پنهنجي وڏن جهڙي نه رهي
هئي. لوهم جي دڙن مان جيڪي ٿانو ۽ ٺڪراٺو مليو
آهي. انهن جي بناوٽ ۽ رنگت کان سواءِ چٽسالي ۾ به
فرق آهي. پهرين دور جي ٺڪراٺي ۽ ثانون تي ٽمڪن
وارا گل، اڏامندڙ پکي، ليڪن وارا ٻوٽا، پپل جاپن،
ڦڻي جي شڪل جهڙيون ٽاريون، نمايان نظر اچن ٿيون.
پوئين دور واري ٺڪراٺي تي جيڪي چٽ ۽ جاميٽري جا
خاڪا چٽيل آهن. سي پهرين دور واري ٺڪراٺي تي بنهه
نظر نٿا اچن. پوئين دور واري ٺڪراٺي تي اکين جي
شڪل جهڙا خاڪا ۽ هر هڪ خاڪي ۾ هڪ وڏو ٽٻڪو يا گول
چٽيل آهي. ان کان سواءِ قطارن ۾ صليب جي شڪل ۾
اکين وانگر به ڪي چٽ چٽيل آهن.
لوهم جي دڙي مان هيٺيون شيون دستياب ٿيون آهن.
انهن جو ذڪر مجمدر هيٺين طرح ڏنو آهي. ابرڪ مان
ٺهيل ٿالهي جي شڪل جهڙا گول مڻيا ان قسم جا مڻيا
گهڻي تعداد ۾ حاصل ٿيا آهن. ٿڦڻين مان گهڙيل سنها،
ٿلها ۽ ننڍا وڏا مڻيا ان قسم جا مڻيا به جهجهي
تعداد ۾ مليا آهن جيڪي مٽي مان ٺهيل ۽ پڪل ڳاڙهي
ماپن واريون اهن. ڳاڙهي رنگ واري پٿر مان گهڙيل
نيزي جو مٿو. هڪ خنجر، هڪ پاڪي، چاڪو، ابرق مان
ٺهيل گول مٺئي سان يا بٽڻ جي شڪل ۾، هڪ مهر تي هڪ
درجن کن تصويري خاڪا، هڪ قطار ۾ اڪريل آهن. ان کان
سواءِ هڪ سنڱي گينڊي کي به ڏيکاريو ويو آهي. هن
دڙي مان پڪل مٽي مان هڪ ڪيڪ نما ٿانو به مليو آهي.
مٽي جا پڪل اٽڪل ڏهن ڍڳن جا بوتا به مليا آهن ۽
گاڏين جا ننڍڙا ڦيٿا به مليا آهن.
لوهم جي دڙو تي نالو ڪيئن پيو ۽ برباد ڪيئن ٿيو.
ان بابت مختلف رايا آهن. سنڌ جي مهان ڏاهي مورخ ۽
آثار قديم جي ماهر تاج صحرائي پنهنجي مقالي ۾ لکيو
آهي. جيڪو ماهوار نئين زندگي حيدرآباد ۾ ماه
سيپٽمبر 1996ع ۾ شايع ٿيو آهي. لکي ٿو ته سنڌي
ٻولي جي اکرن جو عام جام استعمال جهڙوڪ وهڻ، واهڻ،
سيوهڻ، ٻلهڻ، گرڪڻ، راڌڻ، شادڻ، رڪڻ، ڇنڊڻ، ٻيلو
پتڻ، کارو ڇاڻ، ٻهگاڻ، مياڻ، پراڻ،ڦڳڻ، پوکڻ،
رامڻ، وغيره ڪن شهرن ۽ ماڳن جا نالا سڪڻ، نيئن
ڪڏڻ، چڪڻ ڍنڍن جا نالا، جيوڻ، ميرڻ، ڌيرڻ، ميررڪڻ،
لالڻ، ساوڻ، گلڻ ڦلڻ، جهلڻ، مکڻ، پيرڻ، مهراڻ،
ٽوپڻ، وغيره ماڻهن جا نالا آهن. جڏهن ته رامڻ،
راڌڻ، شادڻ، رڪڻ ۽ ڪڏڻ وري هن خطي جي ڪن ماڳن ۽
ڍنڍن ڍورن جا تلا آهن. لوهڻ، نالي سان سندن وڌيڪ
صحيح ۽ موزون ٿيندو، هي شهر ڪيئن برباد ٿيو. ان
لاءِ ڪي روايتون آهن ته سنڌو درياءُ کي پورالو
درياءُ سڏيو وڃي ٿو. درياءُ جي اٿل سبب هي شهر
برباد ٿيو هوندو، ان روايت تي هتان جا ڪيترائي
ڏاها متفق آهن. ته درياءُ جي پائڻ يا رخ تبديل ڪري
هي شهر ويران ٿيو هوندو.
پاٽ جو دڙو:
دادو شهر کان اتر اوڀر ڪنڊ تي تقريباً 30 ڪلوميٽر
پنڌ تي هي دڙو موجود آهي. هن دڙي بابت صحيح
معلومات نه ملي سگهي آهي. ته ڪڏهن وجود ۾ آيو.
ڪنهن آباد ڪيو ۽ ڪهڙي طرح اجڙي ويو. ان بابت صرف
انحصار روايتن تي ئي اعتمادي ڪري سگهجي ٿو. خيال
آهي ته هي دڙو عربن جي دور کان به اڳ جو ٻڌايل
آهي. عام خيال مطابق هن جو اصل نالو پاتر آهي جيڪو
ڪنهن راجا جي نالي پٺيان رکيو ويو. جو اول راجا
پاتر اهو شهر تعمير ڪرايو. چون ٿانه عروج وقت هن
جو نالو پوتر يعني پاڪ هو جيڪو زماني گذرڻ سان ان
جو نالو پاٽ پئجي ويو. ابتدائي دور ۾ هن شهر ۾ جت
ڪوري، لوهاڻا، مهاڻايا ميد ۽ ٻيون سنڌ جون قديم
قومون آباد هيون. هن دڙي بابت صحيح طور تي خبر نه
پئجي سگهي آهي. ته ڪيئن برباد ٿيو. تاهم روايت ۾
اهي ته هن شهر کي ٻاهرين حملي آورن لٽي ڦري باهيون
ڏيئي تباهه ڪري ڇڏيو هوندو. ڇاڪاڻ جيڪڏهن دڙي کي
درياءُ پائي ها ته اڄ تائين صحيح سلامت نه هجي ها.
پر هن کي حملي آورن باهه ڏئي اجاڙي ڇڏيو. پاٽ جي
دڙي جي ايراضي 8 ايڪڙن کان مٿي ٿيندي. ڪٿي دڙي جي
اوچائي 4 فوٽ ته ڪٿي وري 40 فوٽن کان مٿي ٿيندي.
دڙي تي ٺڪر جي ٿانون جا ٽڪرايه دستياب ٿيندا رهن
ٿا. گهرن جا جيڪا آثار مليا آهن. اهي تمام سوڙها ۽
ڳتيل هوندا هئا. دڙي تي پير اسماعيل جو مقبرو آهي.
هن اولياءُ جي مزار تي ڪيترائي ماڻهو حاضري ڀريندا
آهن. پاٽ جي دڙي تي مقامي ماڻهن قبرستان قائم ڪري
ڇڏيو آهي.
ميان يار محمد ڪلهوڙي جو مقبرو:
ميان يار محمد ڪلهوڙي جو مقبرو دادو شهر کان اٽڪل
9 ڪلوميٽر ڏکڻ ۾ ريلوي لائين ۽ انڊس هاءِ وي جي
اولهه ۾ 2 ڪلوميٽر پنڌ تي واقع آهي. ميان يار محمد
ڪلهوڙي جي مزار تي هڪ شاندار مقبرو اڏيل آهي. هي
مقبرو زمين جي سطح کان ڏهه ٻارهن فوٽ اوچائي تي
اڏيل آهي. مقبري کي چوڌاري وڏو ڪوٽ ڏنل آهي. مٿي
چڙهڻ لاءِ اوڀر ۾ هڪ وڏو مکيه دروازو آهي. مٿي
چڙهڻ لاءِ ڏاڪڻيون ٺهيل آهن. دروازي وٽ گنبذ ٺهيل
آهي. گنبذ وٽ ڀتين تي چٽسالي ٿيل آهي ۽ ميوات ۽
ڪجهه ٻيون تصويرون به ٺهيل آهن. دروازي کان اندر
وڃبو ته سامهون وڏو مقبرو ميان يار محمد ڪلهوڙي جو
ڏسڻ ۾ ايندو. مقبري اندر ميان يار محمد ڪلهوڙي جي
پيراندي ۾ سندس پوٽي ميان شفيع محمد ڪلهوڙي جي قبر
آهي. جنهن تي قرآني آيتن سان گڏ سندس نالو سن وفات
۽ ٺاهيندڙ ڪاريگر جو نالو وغيره پٿر تي تمام سهڻو
۽ باريڪ بيني سان اڪريل آهي.
ميان يار محمد ڪلهوڙي جي مقبري ۾ تمام باريڪ سرون
استعمال ٿيل آهن. سرن جي ٿولهه ڏيڍ انچ ويڪر 8 انچ
۽ ڊيگهه 1 فوٽ کن ٿيندي. مقبري تي گلڪاري، چٽسالي
۽ ڪاشي جو ڪم بهترين نموني سان ٿيل اهي. مقبري
اندر هڪ ڏنڊو ڪپڙي ۾ ويڙهيل آهي. روايت آهي ته اهو
ڏنڊو ميان صاحب جي هٿ ۾ هو ۽ ڏنڊي ذريعي حڪومت جون
واڳون هٿ ڪيون. ان ڪري اڪثر حاجت مند ڏنڊو نظرانه
طور پيش ڪندا آهن. ڏنڊي کي نظرانه طور ڊاڪٽر لياقت
مگسي بند ڪرايو آهي. جيڪو ڪاٺ جي پيتي ۾ بند ٿيل
آهي. مٿان کان شيشو لڳل اٿس. جنهن ڪري ڏنڊو نمايان
نظر اچي ٿو. ميان يار محمد ڪلهوڙي جي مقبري ٻاهران
ڪوٽ اندر اتر ۾ سندس پوٽي ميان مراد ياب ڪلهوڙي جو
ننڍڙو مقبرو آهي. مقبري جي اوڀر ۾ سندس ٻن گهرواين
جون قبرون آهن. جن تي پڻ ننڍڙي تجرو اڏيل آهي. ان
کان علاوه ميان غلام حسين ۽ ٻين خاص وفادار ساٿين
۽ سندس خاندان وارن جا پڻ ننڍا ننڍا مقبرا اڏيل
آهن. اوڀر ڏکڻ ۾ پڻ قبرون آهن. جن ۾ گاجي کهاوڙ جي
پڻ هڪ قبر آهي. جنهن جو تڪيو وري گاجي کهاوڙ ڳوٺ
ضلعي لاڙڪاڻي ۾ آهي. ان کان علاوه ٻين ڪيترن ئي
سپهه سالارن ۽ فقيرن جون قبرون ۽ مقبرا آهن. جنهن
۾ جلباڻي فقير، ڦتو لاشاري جون قبرون شامل آهن.
مقبري جي مرڪزي دروازي جي لڳ هڪ جامع مسجد پڻ آهي.
جيڪا به سنهين سرن سان جڙيل آهي. اها مسجد پڻ خسته
حالت ۾ آهي.
جامع مسجد خداآباد:
خداآباد شهر جو بنياد ميان يار محمد ڪلهوڙي 1701ع
۾ وڌو. ميان يار محمد ڪلهوڙي سامتاڻي پرڳڻو قيصر
خان پنهور کان کسي ان جي ڀرسان هي نئون شهر
خداآباد جي نالي سان ٻڌي ان کي پنهنجي گادي جو هنڌ
بنايو، جيڪو تقريباً 56 سال سنڌ جي گادي جو هنڌ
رهيو. هي شهر دارالخلافه هئڻ ڪري سڄي دنيا سان
ڳنڍيل رهيو. ٻيڙين ذريعي هتان جو ڪچو مال ڏيساور
ويندو هو. هن شهر ۾ ميان يار محمد سهڻيون عمارتون
ڪوٽ ۽ قلعا باغ باغيچا، پاڻي جا تلاءُ ۽ واهه
وهندا هئا. هن شهر تي يار محمد ڪلهوڙي 18 سال
حڪومت ڪئي. جنهن کان پوءِ ميان نور محمد ڪلهوڙو
سندس پٽ تخت جو ڌڻي ٿيو. جنهن پڻ 34 سال حڪومت
ڪئي. جنهن کان پوءِ ميان نور محمد ڪلهوڙي جي پٽ
مراد ياب پڻ 4 سال حڪومت ڪئي.
ميان نور محمد ڪلهوڙي جي وفات کان پوءِ سندس پٽن ۾
ڪافي اڻبڻت پيدا ٿي. ان ڪري سڀني ڀائرن پنهنجي
حڪومت ۽ ان جا تخت گاهه الڳ بنايا جنهن ڪري مراد
آباد، محمودآباد، الله آباد ۽ حيدرآباد تخت گاهه
وجود ۾ اچي ويا. ميان غلام شاهه سڀني ڀائرن کان
طاقت ور حڪمران ٿي اڀريو هن حيدرآباد کي پنهنجو
تخت گاهه بنايو ۽ اتي ڪيترائي ڪوٺ ۽ قلعا
جوڙايائين. جنهن ڪري خداآباد جا ڪيترائي عالم
مزدور واڍا ۽ ٻين ڌنڌن سان لاڳاپيل ماڻهو حيدرآباد
۾ رهائش اختيار ڪيائون ۽ اتي وڃي پنهنجا محلا ۽
پاڙا ٺاهي ويهي رهيا. اڄ به حيدرآباد ۾ ڪورين جو
پڙ ۽ واڍن جو پڙ سندن يادگار موجود آهن. اهڙي طرح
خداآباد اجڙڻ شروع ٿيو. جيڪو آهستي اجڙي زمين دور
ٿي ويو آهي. هن وقت صرف ڪجھه عمارتون آهن. جيڪي هن
شهر جي قدامت جي نشاندهي ڪري رهيون آهن. انهن مان
جامع مسجد خداآباد نمايان نظر اچي ٿي.
خداآباد جي جامع مسجد دادو شهر کان ڏکڻ ۾ اٽڪل 8
ڪلوميٽر پنڌ تي انڊس هاءِ وي جي اوڀر ۾ لڳو لڳ
واقع اهي. هي مسجد ميان يار محمد ڪلهوڙي جوڙائي
هئي. هن مسجد جو ڪم 1701ع کان شروع ٿيو ۽ 1704ع ۾
مڪمل ٿيو. هي مسجد ڪلهوڙا دور جي فن تعمير جو
اعليٰ نمونو رکي ٿي. هن مسجد ۾ ڪاشي استعمال ڪئي
وئي آهي. تنهن هن مسجد جي سونهن ۽ سوڀيا ۾ اضافو
ڪيو آهي. ڪاشي جون سرون ملتان مان ٻيڙين ذريعي
گهرايون ويون هيون ۽ هتان جي مقامي ڪاريگرن سرن جي
جڙائي مسجد اندر گلڪاري ۽ چٽسالي جو ڪم وڏي مهارت
سان ڪيو. ان ڪري مسجد جي سونهن ۽ سوڀيا ۾ اضافو
اچي ويو. مسجد مٿي ٿلهي تي ٺهيل آهي. جيڪا زمين
کان تقريباً 8 فوٽ مٿي ٿيندي. مسجد گنبذن تي ٻڌل
آهي. مسجد شريف جو ورانڊو ڇانيل هئو. جيڪو باهه
لڳڻ سبب شهيد ٿي ويو. هڪ ٻي روايت ۾ آهي ته بروهين
جي حملي وقت هن مسجد شريف جي ڇت کي نقصان پهچايو
ويو هو.
مسجد جي مٿان وڃڻ لاءِ ڏاڪڻ آهي. مٿي چڙهي ورانڊي
جي اتر واري ڀٽ کان ڇت تي پهچبو آهي. مسجد شريف جي
ٻاهران اتر ۾ هاٿين جي بيهڻ لاءِ جايون موجود
هيون. انهن جي وري اوڀر ۾ هڪ ٿلهي ڀت اڄ به نمايان
نظر اچي ٿي. ان جي ويڪر 6 فوٽ ۽ اوچائي 20 فوٽ
هوندي هئي. هن مسجد شريف جي اتر اوڀر ڪنڊ تي گل
مير شاهه جي مزار آهي. هي ننڍڙو قبرستان ان دور جو
آهي. جڏهن خداآباد ڦٽي چڪو هو. ڪي هن کي گل شاهه
ته ڪي وري گل مير شاهه سڏين ٿا. هي ميان يار محمد
جي خاص معتقدين مان هو.
حاجن شاهه جو دڙو:
حاجن شاهه جو دڙو ڳوٺ مشتاق جمالي ۽ شاهه شڪر گنج
جي ڀرسان آهي. هي دڙو تقريباً 12 ايڪڙن تي مشتمل
ٿيندو. هي دڙو ڪيئن وجود ۾ ايو ۽ دڙي جو اصل نالو
ڪهڙو اهي. ان بابت ڪابه معلومات نه ملي سگهي آهي.
تاريخي ڪتاب به خاموش آهن. دڙي جي اوچائي ڪئي 10
فوٽ ته ڪٿي وري تقريباً 30 فوٽ ٿيندي، دڙي جي
مٿاڇري تي ٺڪريون ٽڙيون پکڙيون پيون آهن. ٺڪرين تي
ڪاشي ٿيل آهي. ۽ ڪن ٺڪرين تي ٻوٽا ۽ ٽاريون اڪريل
آهن. دڙي مان نيلون به دستياب ٿيون آهن. ان مان
معلوم ٿئي ٿو ته ڪنهن مسلمان حڪمران هن دڙي تي
رهائش اختيار ڪئي هوندي ۽ دڙي تي مسجد به تعمير
ڪرائي هوندائين. جيڪي زماني جي گردش سبب هي وسندڙ
وستي برباد ٿي وئي آهي. دڙي جي کوٽائي ڪندي ڪجھه
سڪا دريافت ٿيا آهن. جيڪي فيروز شاهه تغلق جي دور
جا معلوم ٿين ٿا. ڪجھ ٺڪر جا جنڊ به دستياب ٿيا
آهن. جيڪي سارين ڇڙهڻ جي ڪم ايندا هئا. ان کان
علاوه ڪجھه ٿانو گهگهيون، ڪونرا ۽ ٻين ٿانون جا
ٺڪر به مليا آهن. انهن تي ابرق سان چٽسالي ڪئي وئي
آهي. مڪاني ماڻهن جي عدم دلچسپي سبب هي دڙو اوج
وڃائي ويٺو آهي. آثار قديم جي ماهرن هن دڙي تي
ڪابه تحقيق نه ڪئي آهي. هن وقت ماڻهو دڙي تي گهو
ٻڌي ويهي رهيا آهن ۽ اسان جو قومي ورثو آثار قديم
وارن جي بي توجهي سبب صفحه هستي تان ميسارجي ويو
آهي.
ماڻڪٽاري جو دڙو:
سنڌ ۾ ڪيترائي ماڳ مڪان، جبل، ڍنڍون، ڍورا، ڪوٽ،
قلعا، ڪوٽڙيون، ڀڙا، دڙا، پراڻا شهر موجود هئا.
جيڪي اڄ ڦٽل ۽ تباهه ٿي پنهنجي شان و شوڪت وڃائي
چڪا آهن ۽ هو پنهنجي حال تي ڳوڙها ڳاڙي رهيا آهن.
سنڌ ۾ جيڪي قديم ماڳ آهن، انهن ۾ موهن (موهين) جو
دڙو ڪوٽڏجي، آمري، برهمڻ آباد، ڀنڀور ۽ ٻيا ماڳ
نظر ايندا. اهي نهايت ترقي يافته ۽ وسندڙ هئا. مگر
زماني جي ستم ظريفي سبب ميسارجي ويا آهن. انهن ۾
ماڻڪٽاري جو دڙو به شامل ڪري سگهجي ٿو. هي دڙو
دادو شهر کان اٽڪل 12 ڪلوميٽر اتر طرف ۽ ڦلجي
اسٽيشن جي اوڀر ۾ 1 ڪلوميٽر پنڌ تي ٿيندو.
ماڻڪٽاري جي دڙن بابت تاريخ خاموش آهي. هن دڙي جي
پکيڙ تقريبا 22 ايڪڙن تي مشتمل ٿيندي، ڀرپاسي جي
ڳوٺاڻن جو چوڻ آهي ته هي دڙو موجوده پکيڙ کان
گهٽبو رهي ٿو. دڙي جي اوچائي ڪٿي 5 فوٽ ڪٿي وري 40
فوٽ به ٿيندي، موجوده دڙو درياءُ جي اولهه ۾ واقع
آهي. هن دڙي جي ڀرسان ٻيا به ڪيترائي ماڳ مڪان
آهن. جن ۾ فتح پور، پراڻو ديرو ۽ موندر شامل آهن.
هي ماڳ دريائي بندر هئا ۽ انهن بندرن ذريعي مال جو
واپار هلندو هو ۽ هتان خام مال ڪپڙو، گيهه، چمڙو،
تيلي ٻج، نير، چانور ۽ ٻيو سامان برآمد ڪيو ويندو
هو ۽ ٻاهران وري لوهه، دوائون ۽ ٻيون شيون درآماد
ڪيون وينديون هيون. فتح پور بابت خيال ڪيو وڃي ٿو
ته اهو پڊ به ماڻڪٽاري دور جو لڳي ٿو. ماڻڪٽاري
دڙي جي ڪجھه حصي تي مقامي رهواسين قبرستان طور
استعمال ڪرڻ شروع ڪيو آهي. هن دڙي جي ڪجھه کوٽائي
ڪئي وئي آهي. دڙو ٻن تهن تي مشتمل معلوم ٿئي ٿو.
کوٽائي ڪندي هڪ قبر دريافت ٿي آهي. ڳوٺ قاضي پير
محمد سولگي جي رهواسين جو چوڻ آهي. قبر مان جيڪو
لاش دستياب ٿيو آهي. اهو صحيح سلامت هول اش جي
پورجڻ جو نمونو مسلمانن وارو هو ۽ لاش ويجهي دور
جو هو. سنڌ جي مهان ڏاهي، مورخ آثار قديم جي ماهر
تاج صحرائي جو چوڻ آهي ته دڙو ٻن تهن تي مشتمل
آهي. هيٺيون تهه مسلمانن جي دور کان اڳ جو آهي.
مٿيون تهه مسلمانن جي دور جو معلوم ٿئي ٿو. هيٺين
تهه مان مسڻ جا نشان مليا آهن. جنهن مان انومان
ڪڍي سگهجي ٿو. ته هن ماڳ جي پهرين دور ۾ هندو
رهندا هئا. ۽ جڏهن مسلمان طاقت ۾ آيا ته هتي
مسلمان آباد ٿيڻ شروع ٿيا. اهڙي طرح هي شهر مختلف
دور ڏٺا. هن دڙي مان ڪيتريون ئي شيون دستياب ٿيون
آهن. انهن مان ٺڪر جا ڀڳل ٽٽل ٽڪرا، سارين ڏرڻ
لاءِ ٺڪر جو جنڊ ٽڪرن جي صورت ۾ ۽ گل دستو ٺڪر جو
مليو اهي. جيڪو به ڀڳل صورت ۾ آهي. ٺڪر جا ڪونرا
جيڪي پڻ ٽڪرن ۾ ڀڳل دستياب ٿيا آهن. ان کان علاوه
مٽي جا گليلا ۽ ٺڪر جون سرون جيڪي پڻ موجوده سرن
کان مختلف ۽ باريڪ آهن. اهي لڌيون ويون آهن.
ماڻڪٽارو ڪڏهن وجود ۾ آيو، ڪيئن برباد ٿيو. ان
بابت اسان جون تاريخون خاموش آهن. ان ڏس ۾ ڪن ٿورن
تاريخي ڪتابن ڪجھه معلومات فراهم ڪئي آهي. ان مان
ڪجھه انومان ڪڍي دڙي جي قدامت بابت معلومات حاصل
ڪري سگهون ٿا. تحفته الڪرام جي صفحه نمبر 81 ۾
لکيل آهي. سلطان آرام شاهه جي وقت ۾ بادشاهت چئن
حصن ۾ ورهائجي وئي. هن مان ملتان اچ ۽ ساري سنڌ تي
ناصرالدين قباجه جو حڪم جاري ٿيڻ لڳو. ان وقت سنڌ
جي سر زمين تي ست رانا ملتان جا ڏن ڀريندڙ حڪمران
هئا.
1.
راڻو سهتو (ڀؤنر) راٺوڙ
2.
سرو ولد ڌماچ
3.
جيسر ولد جج ججو ماڇي سولنگي رهندڙ مانکتارو
تحفته الڪرام جي فارسي ڇاپي ۾ صفحي نمبر 62 تي مان
ڪتادره لکيل آهي. ڪجھه تاريخ نويسن ماڻڪٽاري بابت
معلومات فراهم ڪئي آهي. مولائي شيدائي پنهنجي
ڪتاب، جنت السنڌ، ۾ لکي ٿو ته ناصرالدين قباچه جي
وقت ۾ ست رياستون قائم هيون. جن مان ٽين رياست
ماڻڪٽارو تي جيسر ولد ججه ماڇي سولنگي حڪومت ڪندو
هو. سماٽ ڪتاب جي ليکڪ تاريخ خاصخيلي جي حوالي سان
صفحي نمبر 40 تي لکي ٿو ته سولنگي قوم به حڪمران
هئي. جن مالوه سوراسٽ، گجرات، ۽ ڪوڪن تي صدين
تائين حڪومت ڪئي. سنڌ ۾ ماڻڪ سندس رياست هئي.
ماڻڪٽارو رياست بابت اڪٿر تاريخون خاموش آهن.
روپاهه بونگ، ڀاڳناڙي، همه ڪوٽ ۽ درٻيلو بابت ڪافي
مواد ملي ٿو. پر ماڻڪٽارو بابت تاريخي ڪتابن ۾ ذڪر
نه هئڻ جي برابر آهي. ايستائين جو لب تاريخ، جي
مصنف کي آخر هن شهر بابت اهو چوڻو پيو ته ان بابت
ڪابه خبر نه آهي، ته هن رياست جو وجود ڪٿي آهي.
تاريخ فرشته جو مصنف لکي ٿو. ته سلطان قطب الدين
ايبڪ جي وفات بعد ناصرالدين قباچه سنڌ جي ڪيترن ئي
قلعن ۽ شهرن تي قبضو ڪيو ۽ سومرا خاندان کي ايترو
ته تباهه و برباد ڪيو. جو انهن وٽ ٺٽي ۽ جهنگلي
علائقن کان سواءِ ٻيو ڪجھه به نه بچيو.
تاريخ معصومي ۾ مير معصوم بکري لکي ٿو ته شاهه بيگ
ارغون باغبان جي حدن اندر پهتو ۽ هن اوڙي پاڙي جي
اميرن کي حاضر ٿيڻ جو حڪم ڏنو. هتان جي ماڇين
سولنگين سرڪشي ڪري اطاعت ۽ فرمانبرداري کان منهن
موڙيو تن سڀني کي قتل ڪيائين. عورتن ٻڌن ٻارن تي
به رحم نه آيس. هنن جا مال، زيور، ڍور، ڍڳا، ڦري،
لٽي گهر ٽڙ ۽ قلعا زمين برابر ڪري ڇڏيائين.
روايت آهي ته شاهه بيگ ارغون مقامي قبيلي جي ماڻهن
سان گڏجي باغبان تي حملو ڪيو ۽ باغبان شهر ۾ رهندڙ
ماڇين کي سيکت ڏيڻ لاءِ اتان جي رهواسين جو قتل
عام ڪيو، انهن جي ملڪيت لٽي وئي. مردن جو ته قتل
عام ڪيو پر عورتن ٻڍن ۽ ٻارن کي به نه بخشيو ۽
انهن جو به قتل عام ڪيو، بعد ۾ ڦرلٽ ڪري سڄي شهر
کي باهه ڏني وئي. جيڪا ساڍه ٽي ڏينهن جاري رهي.
تاريخن ۾ ماڇين جي حب الوطني ۽ قوم پرستي جو ذڪر
جابجا ملي ٿو. ايستائين جو تاريخ معصومي ۾ اسان کي
سندن قلعن جو تذڪرو پڻ ملي ٿو. جن قلعن کي شاهه
بيگ ارغون زمين برابر ڪرائي ڇڏيو. شاهه بيگ ارغون
کي درياءُ خان کان پوءِ وڌيڪ مرچ ماڇين ڏنا هئا.
ماڇين جي اها رياست ماڻڪٽارو هئي. جيڪا باغبان کان
4 ڪلوميٽر اوڀر اتر طرف هئي. جنهن ۾ شاهه بيگ
ارغون سرڪش ماڇين کي ختم ڪرڻ لاءِ اچي ديرو ڄمايو
هو. تاريخ فرشته ۽ تاريخ معصومي جي حوالن سان چئي
سگهجي ٿو. ته هي رياست سلطان جلال الدين سنه 22،
1221 جي دور ۾ يا شاه بيگ ارغون جي دور ۾ برباد ٿي
هوندي.
ناصرالدين قباچه 1210ع ڌاري ملتان ۽ سنڌ تي قبضو
ڪيو ۽ اهو قبضو سندس ٻڌي مرڻ تائين 22 سال جاري
رهيو. ماڻڪٽاري جي رياست ناصرالدين قباچه جي سنڌ
تي قبضي ۾ اچڻ کان گهڻو وقت اڳ آباد هئي. جنهن تي
جيسريا جوڌوپت جج سولنگي راڄ ڪندو هو. ماڻڪٽاري
دڙي جي لڳ ڪيترائي ڳوٺ قاضي پير محمد سولنگي ڳوٺ
شير محمد سولنگي شامل آهن. ماڇي سولنگي سنڌ جي
قديم ذات آهي. هن قبيلي جو ذڪر سنڌ جي تاريخن ۾
جابجا ملي ٿو.
شاهه سچل سامي ڪتاب ۾ لکيل آهي ته 352ق. م ۾ جڏهن
سڪندراعظم سنڌ تي حملو ڪري مايڪانس ماڇي قبيلي جي
شڪست کاڌل راڻي کي سندس ئي راڄ ڌاني الور جي چونڪ
۾ ٻين برهمڻن سان گڏ ڦاسي تي چاڙهيو ويو. بمبئي
جنرل 1930ع موجب سنڌ جي اصلوڪن رهاڪن ۽ مارواڙ جي
باشندن جو ويجهو تعلق هو. جن جا وارث سنڌ جا جٽ ۽
ماڇي وغيره هئا.
ماڻڪٽاري تي نالو ڪيئن پيو ان بابت مختلف روايتون
ملن ٿيون. غلام حيدر چنه پنهنجي هڪ مقاله ۾ ماڻڪ
تارو رياست ڪري لکيو آهي. سندس اهو مقالو ماهوار
نئين زندگي مئي 1994ع ۾ شايع ٿيو آهي، هي لکي ٿو
ته ماڻڪ تارو رياست مڙني ڏن ڀرو رياستن کان سکي
ستابي هئي. جنهن تي جوڌوپٽ جج سولنگي حڪومت ڪندو
هو. اک جي ماڻڪي کي تارو چوندا هئا. هڪ ٻي روايت
آهي ته اڳ واپار دريائي بندرن ۽ خشڪي ذريعي ٿيندو
هو. فتح پور ۽ پراڻو ديرو دريائي بندر هئا. انهن
بدنرن ذريعي مال ٻاهر برآمد ڪيو ويندو هو. ۽ اتان
جيڪو مال هنن بندرن تي پهچندو هو ته اهو اُٺن
ذريعي ڏوراهن علائقن تي پهچايو ويندو هو. فتح پور
۽ پراڻو ديرو بندرن تي رهائش ڪانه هوندي هئي. ان
ڪري واپارين کي رهڻ لاءِ هميشه ڪنهن مناسب جڳهه جي
تلاش هوندي هئي. ماڻڪ ٽارو اهڙي جڳهه هئي. جتي رهڻ
کان علاوه خوراڪ ۽ اُٺن جي چاري لاءِ جڳهه سازگار
هئي. واپاري بندرن تان پڇا ڪندا هئا. ته رهائش جي
مناسب جڳهه ڪٿي آهي ته انهن واپارين کي ٻڌايو
ويندو هو ته هي چارو (دڳ رستو) آهي. جيڪو ماڻڪ
چارو ڳوٺ وڃي ٿو. ان ڪري هن وسندي کي ماڻڪ چارو
نالو پئجي ويو. بهرحال هي وسندي ڪيئن اوج ۾ آئي،
ڪيئن برباد ٿي ان لاءِ تحقيق جي ضرورت آهي ۽ اسان
جا محقق صحيح تاريخي ڄاڻ مهيا ڪري سگهن ٿا.
دائود فقير ڪنڀر جو مقبرو:
دائود فقير ڪنڀر به ميان صاحب جي معتقدين مان هو.
هن جت مٿان به مقبرو اڏيل آهي. جنهن جي ڇت ڊهي
پيئي آهي. ڀتيون اڃان صحيح سلامت آهن. هن مقبري تي
پڻ بهترين گلڪاري ۽ چٽسالي ٿيل آهي.
مائي سَتي جَتي جو مقبرو:
هي مقبرو ميان يار محمد ڪلهوڙي جي مقبري کان هڪ
ميل پنڌ تي اتر اوڀر ڪنڊ تي موجود آهي. جنهن جي به
ڇت ڪري چڪي آهي. ڀتيون اڃان تائين صحيح سلامت آهن.
هن مقبري ۾ به گلڪاري ۽ چٽسالي بهترين ٿيل آهي ۽
ان وقت جي ڪاريگرن جي فني مهارت جو نادر نمونو
آهي. مقبري جي ٻاهران ڪجھه قبرن جا آثار به چٽي
طرح ڏسي سگهجن ٿا. وقت جي ستم طريقي سبب هي قديم
آثار مٽجي زمين دور ٿي رهيا آهن. ليڪن آثار قديم
وارا هنن آثارن کي بچائڻ لاءِ ڪي به قدم نه کنيا
آهن.
شهداد فقير لانگاهه جو مقبرو:
ميان يار محمد ڪلهوڙي جي مقبري جي ڏکڻ ۾ شهداد
فقير لانگاهه جو چبوتري نما مقبرو اڏيل آهي، جيڪو
پٿرن سان ٺهيل آهي. پٿر ڀاري استعمال ٿيل آهن.
پٿرن تي قرآني آيتون تمام بهترين خوشخطي سان اڪريل
آهن، ان کان علاوه نالو ذات ۽ سندس وفات تحرير ٿيل
اهي. هن مقبري جي اڪر ۽ خوشخطي جو نمونو ڏسي ان
وقت جي ڪاريگرن کي داد ڏيڻ کان سواءِ رهي نٿو
سگهجي. هي مقبرو پٿر جي بهترن اڪر جو بهترين مثال
پيش ڪري ٿو.
منگو فقير جتوئي جو مقبرو:
منگو جتوئي جو مقبرو ميان يار محمد ڪلهوڙي جي
مقبري کان اولهه ڏکڻ ڪنڊ تي 5 سؤ گز پنڌ تي آهي.
هي مقبرو تمام وڏو ڪشادو ۽ سٺو ٺهيل اهي. جنهن
مقبري ۾ سنهيون سرون استعمال ٿيل آهن. سرن جي
ٿولهه 2 انچ ويڪر 8 انچ ۽ ڊيگهه 12 انچ ٿيندي.
مقبري ۾ ٽي دروازا اتر ڏکڻ ۽ اوڀر ۾ هئا. جيڪي بند
ڪري صرف اوڀر وارو دروازو کليل ڇڏيو ويو آهي. سار
سنڀال نه هئڻ سبب هي مقبرو خسته حالي ۾ پهچي چڪو
آهي. جيڪڏهن جلد هن جي مرامت نه ڪئي وئي ته آخر هي
تاريخي ورثو پٽ پئجي ويندو.
ٺيٺئي فقير جو مقبرو:
هي مقبرو به ميان صاحب جي مقبري جي اولهه ۾ واقع
آهي. هي مقبرو به سنهين سرن سان اڏيل آهي. مگر اهو
به بي ڌياني سبب ڊهي پٽ پئجي چڪو آهي. ٺيٽئو فقير
به ميان يار محمد جي معتقدين ۽ سپهه سالارن مان
هو. هن مقبري جي ڀرسان ڏهئي فقير جو مقبرو پٽ پئجي
ويو آهي. هن ئي مقام ۾ سهاڳ فقير مقبرو پڻ آهي.
فتح پور جو دڙو:
ڦلجي اسٽيشن کان 5 ڪلوميٽر اوڀر طرف بند سان گڏ
ڪچي ۾ هي قديم ڳوٺ جيڪو هن وقت دڙي جي صورت ۾ واقع
آهي. اهو ڪنهن وقت اوڄ ۾ هو. روايت آهي ته هي ڳوٺ
اصل ڪنهن هندو راجه جو ٻڌايل هو. جيڪو پوءِ ميرن
اچي آباد ڪيو، ۽ مير فتح خان جي نالي پٺيان فتح
پور سڏجڻ ۾ آيو.جيڪو هن وقت دڙي جي صورت ۾ قائم
آهي. هي دڙو اٽڪل 12 ايڪڙن تي مشتمل آهي. دڙو زمين
کان ٿي 5 فوٽ ته ڪٿي وري 8 فوٽ کن اوچو ٿيندو.
هن ڳوٽ جون جايون سنهين سرن سان ٺهيل هيون، هڪ وڏي
ماڙي جا نشان به مليا آهن. امڪان آهي ته اها ماڙي
ڪنهن هندو راجا جي هئي. جنهن ۾ پوءِ مير فتح خان
ٽالپر مرامت ڪرائي اچي رهائش اختيار ڪئي. سڄي دڙي
جي مٿاڇري تي ٺڪرن جا ٽڪر مليا آهن. ڪجھ ٿانو به
لڌا ويا آهن. برسات ۾ چاندي جا سڪا به دستياب
ٿيندا آهن. چون ٿا ته هن دڙي ۾ چاندي ۽ سون جون
ديڳيون به پوريل آهن. هي ڳوٺ درياء جي اٿل سبب
قديم شهر اجڙيو ويو هوندو. هن ڳوٺ ۾ هڪ قديم مسجد
ٺهيل
آهي. جيڪا شهيد ٿي وئي آهي. هن ڳوٺ جي ڀرسان ميان
نعمت الله قريشي جو مقبرو ٺهيل هو. جيڪو شهيد ٿي
ويو آهي، ان سان گڏ ميان محمد آچر قريشي جو مقبرو
صحيح سلامت حالت ۾ آهي. هي ڳوٺ ديهه پير ترهو ٽپه
پراڻي ديري يونين ڪائونسل الهه آباد ۾ آهي. |